जोशीमठ: 18 महीने पहले ही रतलाम के समाजसेवी अनिल झालानी ने चिट्ठी लिख दी थी चेतावनी, पीएम मोदी समेत कई मंत्रियों को लिखा था पत्र
By राजेश मूणत | Updated: January 9, 2023 20:37 IST2023-01-09T20:26:58+5:302023-01-09T20:37:25+5:30
आपको बता दें कि रतलाम के समाजसेवी अनिल झालानी द्वारा लिखे गए पत्र में उल्लेखित इन सुझावों में कहा गया था कि पर्वतीय क्षेत्र में एक ही सतह पर फोरलेन बनाने की बजाय टूलेन की दो अलग अलग लेन समानान्तर, एक दूसरे से काफी दूर या उपर नीचे अलग अलग स्तर पर बनाई जा सकती है। ऐसा करने से पहाडों को अधिक काटना नहीं पडेगा और पहाडों का सन्तुलन भी बना रहेगा।

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देहरादून: पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड के जोशीमठ में उत्पन्न गंभीर हालात को समय पूर्व भांप लिया जाता तो आज जैसी स्थिति निर्मित नही होती। रतलाम के समाजसेवी अनिल झालानी ने एक पत्र में आज से 18 माह पूर्व लिखा था कि टनल और सड़क जैसे निर्माण कार्यों के लिए की जा रही अंधाधुंध खुदाई की वजह से जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में आ सकता है। सृजन भारत के राष्ट्रीय संयोजक अनिल झालानी ने प्रधानमंत्री सहित अनेक केन्द्रीय मंत्रियों को इस सम्बन्ध में पत्राचार किया था।
क्षेत्र में रेल लाइन डालने की योजना के शुरुआत पर ही आगाह किया गया था
श्री झालानी ने बताया कि जब धर्मभूमि उत्तराखण्ड में आल वेदर फोरलेन रोड एवम हिमालयीन क्षेत्र में रेल लाइन डालने की योजना प्रारंभ हुई थी। उसी समय उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व सम्बन्धित विभागों के मंत्रियों को पत्र लिखकर आगाह किया था। पत्र में इस पर्वतीय क्षेत्र को इस प्रकार के निर्माण कार्यों के लिए अनुपयुक्त भी बताया था।
पत्र में श्री झालानी ने आगाह किया था कि हिमालय के पर्वत कच्ची मिट्टी के और तीव्र ढलान वाले है। इन पर्वतों को थोडा सा भी काटने पर वर्षाकाल में भूस्खलन जैसी समस्याएं सामने आती रहती है।
इसके बावजूद हिमालयीन क्षेत्र में फोरलेन रोड और रेलवे लाइन के लिए पहाडों को काटे जाने से इन क्षेत्रों में भूस्खलन, पेडों का गिरना, मिट्टी का बहकर रोड पर आना जैसी अनेक समस्याएं लगातार आएगी।
मामले में झालानी द्वारा कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए गए है
घुमावदार सड़को के कारण यात्रियों को एंजॉयटी की समस्या को देखते हुए योजना के प्रारूप में संशोधन होना चाहिए। श्री झालानी ने फोरलेन और रेल लाइन प्रोजेक्ट के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं से आगाह करने के साथ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए थे।
पत्र में उल्लेखित इन सुझावों में कहा गया था कि पर्वतीय क्षेत्र में एक ही सतह पर फोरलेन बनाने की बजाय टूलेन की दो अलग अलग लेन समानान्तर, एक दूसरे से काफी दूर या उपर नीचे अलग अलग स्तर पर बनाई जा सकती है। ऐसा करने से पहाडों को अधिक काटना नहीं पडेगा और पहाडों का सन्तुलन भी बना रहेगा।
झालानी द्वारा मिनी मोनो रेल का भी दिया था सुझाव
इसी प्रकार पर्वतीय क्षेत्र में मेट्रो की तर्ज पर छोटी मिनी मोनो रेल सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। यह मिनी मोनो रेल जहां यात्री वाहनों की आवश्यकता और उसकी मांग की पूर्ति करने में सक्षम होगी वहीं इसके विस्तार से पर्यटन उद्योग को भी नया आधार मिलेगा। खूबसूरत पर्वतीय वादियों में मिनी मोनो रेल से धीमे धीमे गुजरने से पर्यटकों को अद्भुत आनन्द प्राप्त होगा।
इस प्रकार के रेल रुट बनाने से पहाडों का कटाव भी कम होगा और यात्रा भी संक्षिप्त व कम जोखिम वाली होगी। पहाडियों का कटाव कम होने से दुर्घटनाओं की आशंका भी न्यूनतम रहेगी। श्री झालानी ने प्रधानमंत्री सहित अन्य मंत्रियों को उपयोगी सुझाव देते हुए इस दिशा में नए शोध व प्रयोग कर सडक व रेल मार्ग बनाने का सुझाव दिया था।
पीएम मोदी समेत कई और मंत्रियों को झालानी ने लिखा था पत्र
श्री झालानी ने उपयोगी सुझावों वाला यह पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ साथ केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल, राजमार्ग व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, तत्कालीन वन व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल को प्रेषित किया था।
ऐसे में श्री झालानी के 29 जून 2021 को प्रेषित पत्र के प्रत्युत्तर में अधिकारियों ने पत्र भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। पत्र में उल्लेखित विषय पर गंभीरता नहीं बरती गई। ऐसे में परिणाम स्वरूप आज देश के आध्यात्मिक इतिहास का केंद्र जोशीमठ क्षेत्र का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।
मामले में कुलदीप सिंह ने क्या कहा है
सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के वरिष्ठ तकनीकी सहायक कुलदीप सिंह ने श्री झालानी के पत्र को मूलत: सभी सम्बन्धित अधिकारियों को प्रेषित किया और उन्हे इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने को कहा था।
10 अगस्त 2021 को प्रेषित यह पत्र राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियन्ता, सीमा सड़क संगठन के शिवालिक प्रोजेक्ट के मुख्य अभियन्ता, एनएचआईडीसीएल के कार्यपालन निदेशक और ऋषिकेश कर्णप्रयाग नई रेल लाइन केपरियोजना के मुख्य परियोजना प्रबन्धक को भेजा गया था। इसकी प्रति श्री झालानी को भी भेजी गई है।