राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः बाबर पर मंदिर तोड़ने का इल्जाम लगाते हैं, बाबर विध्वंसक नहीं था, मस्जिद तो मीर बाकी ने बनाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 4, 2019 19:46 IST2019-10-04T19:43:31+5:302019-10-04T19:46:22+5:30

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 37वें दिन की बहस समाप्त पर इस विवाद में चल रही सुनवाई पूरी करने की नयी तारीख 17 अक्टूबर निर्धारित की। पहले इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी करने का कार्यक्रम था।

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: Babar is accused of breaking the temple and building a mosque, Babur was not a destroyer, the mosque was built by Mir Baqi, at the behest of Sufi | राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः बाबर पर मंदिर तोड़ने का इल्जाम लगाते हैं, बाबर विध्वंसक नहीं था, मस्जिद तो मीर बाकी ने बनाई

इस बीच सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने मामले रखें। 

Highlightsपीठ ने कहा कि इस विवाद में मुस्लिम पक्षकार अपनी बहस 14 अक्टूबर तक पूरी करेंगे।दो दिन का समय अर्थात् 16 अक्टूबर तक हिन्दू पक्षकारों को इन दलीलों का जवाब देने के लिये उपलब्ध होगा।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की जमीन के स्वामित्व विवाद मामले की सुनवाई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले 17 अक्टूबर तक पूरी कर ली जायेगी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 37वें दिन की बहस समाप्त पर इस विवाद में चल रही सुनवाई पूरी करने की नयी तारीख 17 अक्टूबर निर्धारित की। पहले इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी करने का कार्यक्रम था। पीठ ने कहा कि इस विवाद में मुस्लिम पक्षकार अपनी बहस 14 अक्टूबर तक पूरी करेंगे और इसके बाद दो दिन का समय अर्थात् 16 अक्टूबर तक हिन्दू पक्षकारों को इन दलीलों का जवाब देने के लिये उपलब्ध होगा।

इस बीच सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने मामले रखें। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या इस बात का कोई सबूत है कि बाबर ने बाबरी मस्जिद को कोई इमदाद दी हो? मुस्लिम पक्ष के वकील  राजीव धवन ने कहा कि उस दौर में इसका कोई सबूत हमारे पास नहीं है, सबूत मंदिर के दावेदारों के पास भी नहीं है। 

राजीव धवन ने कहा कि 1855 में एक निहंग वहां आया और उसने वहां गुरु गोविंद सिंह की पूजा की और निशान लगा दिया था, बाद में सारी चीजें हटाई गईं। ब्रिटिश हुकूमत के गवर्नर जनरल और फैज़ाबाद के डिप्टी कमिश्नर ने भी पहले बाबर के फरमान के मुताबिक मस्जिद की देखभाल और रखरखाव के लिए रेंट फ्री गांव दिए फिर राजस्व वाले गांव दिए। 

आर्थिक मदद की वजह से ही दूसरे पक्ष का एडवर्स पजिशन नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि 1934 में मस्जिद पर हमले के बाद नुकसान की भरपाई और मस्जिद की साफ-सफाई के लिए मुस्लिमों को मुआवजा भी दिया गया। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर 1884 में भी एक बैरागी फकीर मस्जिद की इमारत में घुस कर बैठ गया था, प्रशासन की चेतावनी पर वो बाहर नहीं निकला तो उसे जबरन निकाला गया और उसका लगाया झंडा भी उखाड़ा गया।

सुप्रीम कोर्ट में राजीव धवन ने कहा कि 1934 में दंगा-फसाद के बाद ही ये तय हो गया था कि हिंदू बाहर पूजा करेंगे, तो 22/23 दिसंबर 1949 की रात हिंदू इमारत में कैसे गए? संविधान के अनुच्छेद 12 के जरिए देश भर के सार्वजनिक संस्थान भी नियमित किए गए। उन्होंने कहा कि 1934 में दंगों के दौरान इमारत को नुकसान पहुंचा और धारा 144 लगाई गई।

राजीव धवन ने कहा कि ये बाबर पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का इल्जाम लगाते हैं, बाबर कोई विध्वंसक नहीं था। मस्जिद तो मीर बाकी ने बनाई, एक सूफी के कहने पर। इस दौरान उन्होंने पढ़ा कि ‘है राम के वजूद पर हिन्दोस्तां को नाज़ अहले नज़र समझते हैं उसको इमाम ए हिन्द!’

अंतिम दिन 17 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली जायेगी और सभी पक्षकार इस मामले में राहत के बारे में अंतिम दलीलें पेश करेंगे। इस मामले में शीर्ष अदालत का फैसला 17 नवंबर से पहले ही आने की उम्मीद है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई उस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

अयोध्या विवाद की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ ने इस सप्ताह रोजाना एक घंटा अतिरिक्त सुनवाई की और इस दौरान पक्षकारों को उनके लिये निर्धारित समय से बाहर नहीं जाने दिया।

शीर्ष अदालत ने सभी पक्षकारों को आगाह भी किया कि बहस के दौरान उन्हें कोई भी नया साक्ष्य या सामग्री पेश करने की इजाजत नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि पक्षकारों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उपलब्ध रिकार्ड और दलीलों के आधार पर ही अपने प्रत्युत्तर देने होंगे।

न्यायालय ने 26 सितंबर को हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों को इस मामले में बहस पूरी करने के लिये समय सीमा बताने के लिये कहने के साथ ही स्पष्ट किया था कि किसी भी स्थिति में सुनवाई 18 अक्टूबर के बाद एक दिन भी नहीं की जायेगी।

न्यायालय ने कहा था कि अक्टूबर में दशहरा और दीपावली के लिये अवकाश हैं और इसलिए चार हिन्दू पक्षकारों की ओर से सिर्फ एक अधिवक्ता को ही दलीलों का जवाब देने की अनुमति होगी। इस विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास विफल हो जाने के बाद संविधान पीठ से छह अगस्त से इन अपीलों पर रोजना सुनवाई कर रही है।

यह पीठ अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील विचाराधीन हैं। 

Web Title: Ram Janmabhoomi-Babri Masjid: Babar is accused of breaking the temple and building a mosque, Babur was not a destroyer, the mosque was built by Mir Baqi, at the behest of Sufi

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे