राजनाथ ने तीनों सेनाओं के पहले महिला जलयात्रा नौकायन अभियान को हरी झंडी दिखाई

By रुस्तम राणा | Updated: September 11, 2025 19:50 IST2025-09-11T19:50:13+5:302025-09-11T19:50:13+5:30

नौकायन पोत त्रिवेणी पर सवार दस महिला अधिकारी ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ नामक अभियान का हिस्सा हैं, जिसे दुनिया में इस तरह की पहली त्रि-सेवा यात्रा बताया जा रहा है। 

Rajnath flagged off the first women's sea voyage sailing expedition of the three armies | राजनाथ ने तीनों सेनाओं के पहले महिला जलयात्रा नौकायन अभियान को हरी झंडी दिखाई

राजनाथ ने तीनों सेनाओं के पहले महिला जलयात्रा नौकायन अभियान को हरी झंडी दिखाई

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अगले नौ महीनों में दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक जल क्षेत्रों समेत लगभग 26,000 समुद्री मील की दूरी तय करने के लिए तीनों सेनाओं के महिला जलयात्रा अभियान को बृहस्पतिवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। नौकायन पोत त्रिवेणी पर सवार दस महिला अधिकारी ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ नामक अभियान का हिस्सा हैं, जिसे दुनिया में इस तरह की पहली त्रि-सेवा यात्रा बताया जा रहा है। 

अभियान की शुरुआत मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से हुई और रक्षा मंत्री ने इसे दिल्ली से ऑनलाइन तरीके से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर अपने संबोधन में सिंह ने इस यात्रा को नारी शक्ति, तीनों सेनाओं की सामूहिक शक्ति, एकता, आत्मनिर्भर भारत और इसकी सैन्य तथा कूटनीतिक दूरदर्शिता का एक उज्ज्वल प्रतीक बताया। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘10 महिला अधिकारी अगले नौ महीनों में स्वदेश निर्मित भारतीय सेना के नौकायन पोत (आईएएसवी) त्रिवेणी पर सवार होकर पूर्वी मार्ग पर लगभग 26,000 समुद्री मील की यात्रा करेंगी।’’ 

इसने कहा, ‘‘वे भूमध्य रेखा को दो बार पार करेंगी, तीन अंतरीपों - लीउविन, हॉर्न और गुड होप - का चक्कर लगाएंगी और सभी प्रमुख महासागरों और दक्षिणी महासागर तथा ‘ड्रेक पैसेज’ समेत कुछ सबसे खतरनाक जलक्षेत्रों को पार करेंगी। मई 2026 में मुंबई लौटने से पहले यह दल चार अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों का भी दौरा करेगा।’’ 

‘ड्रेक पैसेज’ को दुनिया के सबसे जोखिमयुक्त जलमार्गों में से एक माना जाता है। मई 2026 में मुंबई लौटने से पहले यह दल चार अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों का भी दौरा करेगा। दस सदस्यीय दल में अभियान का नेतृत्व करने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर, स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा पी राजू, मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव और स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी शामिल हैं। 

ऑनलाइन तरीके से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह मौजूद थे। गेटवे ऑफ इंडिया पर पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। 

रक्षा मंत्री ने ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ को केवल एक जहाज पर की गई यात्रा ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना और अनुशासन एवं दृढ़ संकल्प की यात्रा भी बताया। उन्होंने कहा, ‘‘अभियान के दौरान, हमारे अधिकारियों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प की लौ अंधकार को चीरती हुई आगे बढ़ेगी। वे सुरक्षित घर लौटकर विश्व को दिखाएंगी कि भारतीय महिलाओं का पराक्रम किसी भी सीमा से परे है।’’ 

सिंह ने इस त्रि-सेवा अभियान को तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि जब सशस्त्र बलों के बीच एकजुटता की भावना होती है, तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी छोटी लगती है।’’ रक्षा मंत्री ने पुडुचेरी में स्वदेश निर्मित 50 फुट लंबी नौका आईएएसवी त्रिवेणी को आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह पोत रक्षा नवोन्मेषण और प्रौद्योगिकी में भारत के आत्मविश्वास को दर्शाता है। 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टीम ने तीन साल का कठोर प्रशिक्षण लिया है, जिसकी शुरुआत ‘क्लास बी’ जहाजों पर छोटे अपतटीय अभियानों से हुई और अक्टूबर 2024 में अधिग्रहित ‘क्लास ए’ नौका आईएएसवी त्रिवेणी तक पहुंची। उनकी तैयारी में भारत के पश्चिमी समुद्र तट के साथ उत्तरोत्तर चुनौतीपूर्ण यात्राएं और इस वर्ष की शुरुआत में मुंबई से सेशेल्स और वापसी का एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय अभियान शामिल था, जिसने उनके समुद्री कौशल, स्थायित्व और आत्मनिर्भरता को प्रमाणित किया। 

इसमें कहा गया है कि यह परिक्रमा विश्व नौकायन गति रिकॉर्ड परिषद के कड़े मानदंडों का पालन करेगी, जिसके तहत सभी देशांतरों और भूमध्य रेखा को पार करना और बिना नहरों या विद्युत परिवहन के, केवल पाल के सहारे 21,600 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय करना आवश्यक है। 

बयान में कहा गया है कि सबसे कठिन चरण दिसंबर 2025 - फरवरी 2026 के दौरान दक्षिणी महासागर में केप हॉर्न की परिक्रमा होगी। बयान में कहा गया कि अभियान के दौरान, टीम राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर वैज्ञानिक अनुसंधान भी करेगी। इसमें सूक्ष्म प्लास्टिक का अध्ययन, समुद्री जीवन का दस्तावेजीकरण और समुद्री स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना शामिल है। सर रॉबिन नॉक्स-जॉनस्टन (ब्रिटेन) 1969 में बिना रुके एकल परिक्रमा पूरी करने वाले पहले व्यक्ति थे। 

भारत में, कैप्टन दिलीप डोंडे (सेवानिवृत्त) ने पहला एकल परिक्रमा अभियान (2009-10) पूरा किया और कमांडर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त) 2012-13 में बिना रुके परिक्रमा करने वाले पहले भारतीय थे। भारतीय नौसेना द्वारा आईएनएसवी तारिणी पर की गई नाविका सागर परिक्रमा (2017-18) और नाविका सागर परिक्रमा-दो (2024-25) इससे पहले के सफल परिक्रमा अभियान रहे हैं।

इनपुट - भाषा एजेंसी

Web Title: Rajnath flagged off the first women's sea voyage sailing expedition of the three armies

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे