राजीव गांधी हत्याकांड: चुनाव प्रचार के बीच जब एक धमाके ने ली राजीव गांधी की जान, जानिए क्या हुआ था उस दिन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 21, 2019 09:39 AM2019-05-21T09:39:25+5:302019-05-21T09:39:25+5:30

इससे पहले कोई कुछ और समझ पाता, एक जोरदारा धमाका हुआ और चारों और धुआं छा गया और अफरातफरी मच गई। आननफानन में राजीव की तलाश शुरू हुई।

raji gandhi murder on 21st may 1991 know what happened that day | राजीव गांधी हत्याकांड: चुनाव प्रचार के बीच जब एक धमाके ने ली राजीव गांधी की जान, जानिए क्या हुआ था उस दिन

राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को हुई थी (फाइल फोटो)

Highlightsतमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमले में गई राजीव गांधी की जानराजीव चुनाव प्रचार के लिए तमिलनाडु गये हुए थे, लिट्टे के आतंकियों ने दिया था घटना को अंजामलोकसभा चुनाव के बीच राजीव गांधी की 1991 में हुई थी हत्या

करीब 28 साल पहले देश में कुछ ऐसा ही चुनावी माहौल था लेकिन एक घटना ने सभी को हिला कर रख दिया। लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक बम धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गयी। देश ने इस घटना से कुछ साल पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या देखी थी। ऐसे में यह किसी और बड़े सदमे से कम नहीं थी। एक दिन पहले ही 20 मई, 1991 को देश में पहले चरण का चुनाव हुआ था। हालांकि, इस घटना के बाद चुनाव को कुछ समय के लिए टाल दिया गया और इन्हें जून में कराया गया।

प्रचार के शोर के बीच धमाके ने ली राजीव गांधी की जान

21 मई, 1991: करीब रात के 10 बजकर 21 मिनट हो रहे थे। हर ओर प्रचार का शोर था और राजीव भी चुनाव प्रचार के लिए श्रीपेरंबदूर आये थे। किसी को अंदाजा ही नहीं था कि अगले मिनट में क्या होने वाला है। राजीव के सामने एक लड़की चंदन हार लेकर आई और उनके पैर छूने लगी। इससे पहले कोई कुछ और समझ पाता, एक जोरदारा धमाका हुआ और चारों और धुआं छा गया और अफरातफरी मच गई। आननफानन में राजीव की तलाश शुरू हुई। हालांकि, उनका शरीर कई हिस्सों में बंट गया था। उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह गिरा हुआ था और उनका सिर का हिस्सा फट चुका था। लोग अब भी इधर-उधर भाग रहे थे। 

बीबीसी के अनुसार इस घटना के दौरान तब के तमिलनाडु कांग्रेस के बड़े नेता मूपनार भी घटनास्थल पर मौजूद थे। मूपनार ने इस घटना के बारे में लिखा है, 'धमाके के बाद लौग इधर-उधर दौड़ने लगे। मेरे सामने कई शव पड़े हुए थे। राजीव के सुरक्षा अधिकारी प्रदीप गुप्त अभी जिंदा थे। उन्होंने मेरी ओर देखा, कुछ बुदबुदाये और दम तोड़ दिया। मैंने उनका सिर उठाना चाहा लेकिन मेरे हाथ में मांस के लोथड़े और खून ही आया। मैंने एक तौलिये से उन्हें ढक दिया।'

इस घटना के दौरान वरिष्ठ पत्रकार नीना गोपाल भी वहां मौजूद थीं। नीना गोपाल ने बीबीसी को बताया कि वे जितना आगे जा सकती थीं, गईं। उन्होंने बताया, 'मुझे राजीव गांधी का शरीर दिखाई दिया। साथ ही लोटो जूता देखा और हाथ देखा जिस पर गुच्ची की घड़ी बंधी हुई थी।' नीना साथ ही बताती हैं कि कुछ देर पहले ही वह गाड़ी की पिछली सीट पर बैठकर राजीव गांधी का इंटरव्यू ले रही थीं। राजीव आगे बैठे हुए थे और ऐसे में उनकी कलाई में बंधी घड़ी बार-बार उनके आखों के सामने आ रही थी।

राजीव गांधी की हत्या पर देश ही नहीं बल्कि विदेश के नेता भी हतप्रभ थे। उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए तब के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, बेनजीर भुट्टो, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री खालिदा जिया और फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात तक आए थे।  इसके अलावा राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, ज्योति बसु, लाल कृष्ण आडवाणी समेत देश के कई दिग्गज मौजूद थे।

Web Title: raji gandhi murder on 21st may 1991 know what happened that day