लोकसभा चुनाव के नतीजे अच्छे आने पर चमक जाएगी नेताओं की सियासी तकदीर!
By प्रदीप द्विवेदी | Updated: May 8, 2019 08:16 IST2019-05-08T08:16:44+5:302019-05-08T08:16:44+5:30
rajasthan lok sabha election: पिछली बार मंत्रिमंडल के गठन के समय मंत्री बनने से रह गए प्रमुख नेता पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा, भंवरलाल शर्मा, महेंद्रजीत सिंह मालवीया आदि को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, तो कांग्रेस का हाथ थामने वाले घनश्याम तिवाड़ी, सुरेंद्र गोयल, राजकुमार रिणवा, जनार्दन गहलोत आदि नेताओं को भी सत्ता-संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका मिल सकती है.

लोकसभा चुनाव के नतीजे अच्छे आने पर चमक जाएगी नेताओं की सियासी तकदीर!
राजस्थान में 25 लोस सीटों के लिए दो चरणों का मतदान संपन्न हो गया है, अब नजरें नतीजों पर हैं. जिस दल के नतीजे अच्छे आएंगे, उस दल के कई नेताओं की सियासी तकदीर चमक जाएगी. चुनावी नतीजों के बाद प्रदेश में अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावनाएं हैं. यदि कांग्रेस के नतीजे अच्छे रहे तो जहां कुछ प्रमुख नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, वहीं सत्ता-संगठन के कुछ प्रभावी पदों की जिम्मेदारी भी मिल सकती है.
पिछली बार मंत्रिमंडल के गठन के समय मंत्री बनने से रह गए प्रमुख नेता पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा, भंवरलाल शर्मा, महेंद्रजीत सिंह मालवीया आदि को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, तो कांग्रेस का हाथ थामने वाले घनश्याम तिवाड़ी, सुरेंद्र गोयल, राजकुमार रिणवा, जनार्दन गहलोत आदि नेताओं को भी सत्ता-संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका मिल सकती है. लेकिन, अपने प्रभाव क्षेत्र में अपेक्षा से कम वोट मिलने पर उस क्षेत्र के नेताओं को सियासी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
उधर, भाजपा कामयाब रही तो किरोड़ी लाल मीणा, किरोड़ी सिंह बैंसला, हनुमान बेनीवाल आदि को सियासी फायदा मिल सकता है. चुनाव के उत्तरार्ध में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सक्रि यता बरकरार रख कर प्रदेश की राजनीति में अपनी मौजूदगी बनाए रखने के सियासी संकेत दिए थे.
दोनों दलों को आधी-आधी सीटें मिलेंगी! पिछले लोस चुनाव में भाजपा ने 25 में से 25 सीटें जीत ली थी, परंतु 2018 में हुए विस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को राजस्थान की सत्ता से बाहर कर दिया था. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चुनाव परिणाम में यदि कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है तो दोनों दलों को करीब आधी-आधी सीटें मिलेंगी, यदि किसी भी दल को राज्य में एक दर्जन से अधिक सीटें मिलें, तभी माना जाना चाहिए कि उस दल के नेताओं की मेहनत रंग लाई है!