राजस्थानः कांग्रेस हार से उबर नहीं पा रही, बीजेपी आगे की रणनीति में जुटी
By प्रदीप द्विवेदी | Published: June 5, 2019 09:06 PM2019-06-05T21:06:52+5:302019-06-05T21:06:52+5:30
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने फिर सियासी मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने राज्य सरकार की नाकामी के चलते केवल पांच माह के कार्यकाल में राज्य में 26 प्रतिशत अपराध बढ़ने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस्तीफा ही मांग लिया है.
राजस्थान प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की हार से उबर नहीं पा रही है और नए-नए सियासी विवाद सामने आ रहे हैं, वहीं बीजेपी ने कुछ समय बाद होने वाले उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. उधर, लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाली हनुमान बेनीवाल की आरएलटीपी की सियासी सोच में बदलाव आया है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के बाद हनुमान बेनीवाल ने साफ कर दिया है कि उनका साथ केवल लोकसभा चुनाव के लिए था, आगे के चुनाव उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी.
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने फिर सियासी मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने राज्य सरकार की नाकामी के चलते केवल पांच माह के कार्यकाल में राज्य में 26 प्रतिशत अपराध बढ़ने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस्तीफा ही मांग लिया है. वसुंधरा का कहना है कि अखबारों के फ्रंट पेज पर छप रही दुष्कर्म की खबरें हर मां को बैचेन कर रही हैं. मुख्यमंत्री गहलोत, मंत्रियों और विधायकों का भरोसा खो चुके हैं, उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.
वसुंधरा का कहना है कि राजस्थान में जब से गहलोत की सरकार बनी है, सबसे ज्यादा जुल्म हमारी बेटियों पर हुआ है. हर तरफ अराजकता का माहौल है और जिम्मेदार मंत्री कह रहे हैं कि अधिकारी उनकी सुनते तक नहीं है. थानागाजी गैंगरेप का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि पाली में एक और सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आ गया. प्रदेश में रोजाना तकरीबन एक दर्जन दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं. प्रदेश सरकार की नाकामी के चलते गहलोत के कार्यकाल में प्रदेश में 26 प्रतिशत अपराध बढ़ गया है. जनता इस सरकार को माफ नहीं करेगी.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को लेकर सीएम अशोक गहलोत के कथित बयान के बाद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि- अशोक गहलोत ने हार की सामूहिक जिम्मेवारी की स्पष्ट बात अपने साक्षात्कार में कही, यानी सरकार व संगठन दोनों की. लगता है, मीडिया का एक हिस्सा इतना अंधभक्त बन चुका है कि उसे सोते जागते भाजपा के स्तुतिगान व कांग्रेस की आलोचना के सिवाय कुछ नहीं सूझता.
इधर, विवाद कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. खबर है कि टोडाभीम से कांग्रेस विधायक बीआर मीणा का कहना है कि सचिन पायलट को प्रदेश का मुख्यमंत्री होना चाहिए था और युवा चेहरे को दरकिनार करने की वजह से ही लोकसभा चुनाव में पार्टी को जनसमर्थन नहीं हासिल हुआ. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है और इसके लिए सचिन पायलट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
ऐसे सियासी मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी राजनीतिक निशाना साधते हुए ट्वीट किया- सरकार के मंत्री इस्तीफा दे रहे हैं, एमएलए अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे हैं. कुशासन से त्रस्त जनता सरकार को ढूंढ रही है, पर सरकार कहीं दिखाई नहीं दे रही. सीएम गहलोत जी अपने ही मंत्रियों व विधायकों का विश्वास खो चुके हैं ऐसे में उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि समय रहते कांग्रेस अपनी आंतरिक राजनीतिक रस्साकशी से मुक्ति पाने में नाकामयाब रहती है तो आने वाले चुनावों में भी उसे भारी नुकसान हो सकता है.