नई दिल्ली, 12 अगस्तः राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से तय है मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही सीएम पद के लिए उम्मीदवार रहने वाली हैं, लेकिन सूबे में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा को लेकर बच रहा है। वहीं, शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के बाद प्रदेश में कांग्रेस के सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर चर्चाएं बढ़ गई हैं।
कांग्रेस सीएम पद के उम्मदीवार के नाम पर फंसी
दरअसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट दोनों के बीच लंबे समय से आपसी अनबन चलती आ रही है, जिसकी वजह से किसी एक का नाम तय करने में पार्टी आत्मविश्वास नहीं दिखा पा रही है। लेकिन, राहुल गांधी ने जिस तरह से अशोक गहलोत और सचिन पायलट को मंच पर गले मिलवाया उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष्य दोनों के बीच की खाई को पाटना चाहते हैं क्योंकि दोनों के नेतृत्व में ही पार्टी विधानसभा चुनाव में अच्छे आंकड़े जुटाने की कोशिश करेगी।
राजस्थान चुनाव राजे बनाम राहुल
हालांकि, कांग्रेस कई दफा साफ कर चुकी है कि इस बार का विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे बनाम राहुल गांधी लड़ा जाएगा। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही दिग्गज नेता हैं। गहलोत दो बार सूबे की कमान संभाल चुके हैं, जबकि सचिन पायलट ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी को संभालने की कोशिश की। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर कड़ी टक्कर है। कांग्रेस चुनाव से पहले सीएम पद के नाम पर मुहर लगाना नहीं चाहती है क्योंकि दोनों नेताओं को चुनाव में बड़ा रोल प्ले करना है।पोस्टर्स से गहलोत रहे नदारद
इस बीच दोनों नेताओं के बीच बनी दरार साफ देखी जा सकती है क्योंकि राहुल गांधी की हालिया जयपुर दौरे के दौरान उनके स्वागत में लगाए गए पोस्टर्स से अशोक गहलोत करीब-करीब नदारद रहे और सचिन पायलट ही दिखाई दिए। वहीं, राहुल गांधी द्वारा मंच पर दोनों नेताओं से आपस में मिलवाने के बाद ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि सचिन पायलट पर पार्टी दांव लगाने की सोच रही है।
पायलट ने ऐसे किया गहलोत की ओर इशारा
अभी हाल ही में सचिन पायलट ने कांग्रेस में सीएम चेहरे पर उठे मामले को लेकर बिना नाम लिए अशोक गहलोत और उनके समर्थकों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहना था कि जब उन्हें जिम्मेदारी दी गई तब कांग्रेस को इतिहास में सबसे कम 21 सीटें मिली थी। इसे सीधे तौर पर अशोक गहलोत की तरफ इशारा माना जा रहा था। हालांकि उन्होंने कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर कांग्रेस की सरकार बनाने के काम में जुटने को कहा था।