राजस्थान चुनावः प्रदेश की सियासत का जादूगर है ये राजनेता, बाइक बेचकर लड़ा था लोकसभा चुनाव

By रामदीप मिश्रा | Published: September 19, 2018 07:23 AM2018-09-19T07:23:42+5:302018-09-19T07:23:42+5:30

rajasthan assembly election: इस राजनेता की लोकप्रियता केवल जोधपुर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राजस्थान में उसे जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जाता रहा है।

rajasthan assembly election: know about congress political game changer ashok gehlot | राजस्थान चुनावः प्रदेश की सियासत का जादूगर है ये राजनेता, बाइक बेचकर लड़ा था लोकसभा चुनाव

राजस्थान चुनावः प्रदेश की सियासत का जादूगर है ये राजनेता, बाइक बेचकर लड़ा था लोकसभा चुनाव

जयपुर, 19 सितंबरः राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी प्रचार-प्रसार तेज कर चुकी है और मतदाताओं को रिझाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी हुई है। अगर सूबे की सियासत की बात करें तो कांग्रेस में राजनीति के 'जादूगर' अशोक गहलोत माने जाते हैं, जोकि प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सूबे में उनकी लोकप्रियता खासी मानी जाती है। वह इस समय जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा सीट से विधायक हैं।   

गहलोत के पिता थे जादूगर

अशोक गहलोत का पुश्तैनी घर जोधपुर के महमंदिर इलाके के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में है, जहां से वह विधायक हैं। इनका जन्म अशोक का 3 मई 1951 में जन्म हुआ था। बताया जाता है कि इनके पिता बाबू लक्ष्मण सिंह गहलोत देश के जाने-माने जादूगर थे। अशोक गहलोत को भी जादूगरी में उनके पिता ने पारंगत कर दिया था। उन्होंने स्कूल के दिनों में ही रूमाल निकालने और कबूतर उड़ाने की कला को सीख लिया था। 

बनना चाहते थे डॉक्टर

कहा जाता है कि अशोक गहलोत सियासत की जादूगरी नहीं सीखना चाहते थे। वह डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन, पीएमटी परीक्षा में सफल नहीं होने की वजह से वह सपना टूट गया था, जिसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए इकोनॉमिक्स को चुना और यहीं से सियासी सफर की शुरुआत हो गई थी और छात्रसंघ का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। 

कांग्रेस ने दी थी युवा नेता को टिकट 

बताया जाता है कि अशोक गहलोत की एनएसयूआई में सक्रीय रहने की वजह से धीरे-धीरे लोकप्रियता बढ़ने लगी थी। इसी बीच देश में इमरजेंसी लगी और कोई भी बड़ा नेता 1977 में इंदिरा की अगुवाई वाली कांग्रेस से टिकट नहीं लेना चाहता था। इस बीच गहलोत को टिकट की पेशकश की गई थी। इस मौके को उन्होंने नहीं जाने दिया। इसके लिए उन्हें अपनी चार हजार रुपये में बाइक तक बेचनी पड़ गई थी। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं, फिर से उन्हें 1980 में जोधपुर लोकसभा सीट से टिकट दी गई और उन्होंने 29 साल की उम्र में पहला लोकसभा चुनाव जीत लिया था और वे देश के सबसे युवा सांसद बन गए थे।

गांधी परिवार के रहे चहेते

अशोक गहलोत की लोकप्रियता केवल जोधपुर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राजस्थान में उन्हें जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जाता रहा है। यही वजह रही है कि कांग्रेस ने उन्हें हमेशा पसंद किया है। इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और सोनिया गांधी तक के विश्वासपात्र माने जाते रहे हैं और पार्टी में उनका हमेशा कद बढ़ता रहा है। आज वह कांग्रेस का एक चर्चित चेहरा हैं और अपनी सियासी जादूगरी से विपक्ष को कड़ा मुकाबला करते आए हैं। 

पिछले चुनाव में 18 हजार से अधिक वोटों से जीते

अगर सरदारपुरा विधानसभा सीट की बात करें तो अशोक गहलोत ने पिछले विधानसभा चुनाव में 18 हजार, 478 वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के संभू सिंह खेतासर के खिलाफ चुनाव लड़ा था। गहलोत को 77 हजार 835 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 59 हजार, 357 वोट मिले थे। वहीं, इस विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या दो लाख, एक हजार, 948 थी। जिनमें से एक लाख, 41 हजार, 774 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 

English summary :
know about congress political game changer ashok gehlot: If you talk about the politics of the rajasthan state, the 'game changer' of the Congress is considered as Ashok Gehlot who has been chief minister twice in the state. His popularity is considered to be very popular in the province. He is currently MLA from Sardarpura assembly seat of Jodhpur.


Web Title: rajasthan assembly election: know about congress political game changer ashok gehlot

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