जयपुर, 21 सितंबरः निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल को राजस्थान की राजनीति में एक किसान और जाट नेता के रूप में देखा जाने लगा है। इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि नागौर जिले की सभी सीटें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास होते हुए भी विधानसभा क्षेत्र खींवसर में बेनीवाल ने कब्जा बरकरार रखा। उन्होंन बीते साल दिसंबर में किसान हुंकार महारैली कर अपनी ताकत दिखा दी, जिसके बाद से सूबे की कांग्रेस और बीजेपी दोनों दिग्गज पार्टियों के कान खड़े हो गए।
किसानों और मजदूरों के उठाए मुद्दे
बेनीवाल विधानसभा सत्र के दौरान अक्सर किसान और मजदूरों की बात करते नजर आए हैं। शेखावटी व नागौर क्षेत्र में बेनीवाल जमीन पर अच्छी पकड़ रखते हैं। किसानों के लिए वह सड़क से लेकर विधानसभा तक आंदोलन करते रहे हैं। इस दौरान अधिकतर उनके आंदोलनों में भारी भीड़ देखी गई। वहीं, अपने क्षेत्र के अलावा भी राजस्थान में जाटों के अनेक कार्यकर्मों में बेनीवाल हिस्सा लेते दिखाई दिए।
जल्द कर सकते पार्टी का ऐलान
अब उन्होंने सूबे की राजनीति को एक नया मोड देना शुरू किया है। उनका कहना है कि अब राजस्थान में तीसरे मोर्चे का गठन किया जाएगा और इसके लिए वह अपनी पार्टी की घोषणा आगामी दिनों में जयपुर में आयोजित होने वाली विशाल रैली के दौरान करेंगे। वहीं, उन्होंने युवाओं को आकर्षित करने के लिए 5000 रुपया बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही। वह दावा कर रहे हैं कि इस बार तीसरे मोर्चे के समर्थन के बिना किसी की सरकार नहीं बनेगी।
घनश्याम तिवाड़ी का भी मिल रहा समर्थन
सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी से विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने भी अपना नया दल भारत वाहिनी पार्टी बनाया है, जिसके बाद से वह भी हनुमान बेनीवाल के समर्थन में है। वह कह चुके हैं कि हमारी पार्टी सूबे की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन जिन सीटों पर बेनीवाल के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित होगी उन सीटों पर उनका समर्थन किया जाएगा। इससे साफ है कि इस विधानसभा चुनाव में घनश्याम तिवाड़ी और हनुमान बेनीवाल बीजेपी कांग्रेस के लिए बड़ी समस्या खड़ी करने वाले हैं।
जाट समुदाय का मिल रहा समर्थन
देखा जाए तो हनुमान बेनीवाल को जाट समुदाय का समर्थन मिल रहा है। यह समुदाय सूबे की 60 सीटों पर जीत हार तय करता है, जिसमें नागौर, सीकर, झुंझनू, भरतपुर और जोधपुर जिले शामिल हैं। इन जिलों में जाट समुदाय का दबदवा है और यह बेनीवाल को अपने नेता को तौर पर देखना चाहता है। ऐसे में बेनीवाल इस चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ सकते हैं। लेकिन, राजनीति का ऊंट किस करवट बैठने वाला है यह आने वाला वक्त तय करेगा।