राजस्थानः अशोक गहलोत के संभावित मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं ये चेहरे, लोकसभा चुनाव पर है फोकस!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 15, 2018 03:50 PM2018-12-15T15:50:13+5:302018-12-15T15:50:13+5:30
राजस्थान की नवनिर्वाचित सरकार में पुरानी सियासी समीकरण से या नई जातिगत समीकरण से बनेंगे मंत्री?
राजस्थान में सीएम पद पर फैसला होने के बाद अब कौन बनेंगे मंत्री, की राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं. इस वक्त कई नाम चर्चाओं में हैं जो या तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं या फिर पूर्व में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल रहे है. सवाल यह है कि क्या इस बार भी परंपरागत सियासी समीकरण के हिसाब से मंत्री बनाए जाएंगे या नई सामाजिक जातिगत समीकरण को ध्यान में रख कर मंत्रिमंडल का गठन होगा?
मंत्री जो भी बनें, इस बात का खास ध्यान रखा जाएगा कि उनके प्रभाव से लोकसभा चुनाव में 25 में से अधिकतम सीटें प्राप्त करने का लक्ष्य हांसिल किया जा सके. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजस्थान में 25 में से 25 सीटें जीत लीं थी और अभी विधानसभा के परिणामों पर नजर डालें तो वोट प्रतिशत बताता है कि इनमें से करीब आधी सीटें भाजपा के हाथ से निकल जाएंगी. भाजपा की कोशिश रहेगी कि वह सियासी माहौल सुधार कर फिर से अधिकतम सीटें प्राप्त करे तो कांग्रेस भी चाहेगी कि बेहतर काम करके ज्यादा-से-ज्यादा लोस सीटें जीती जाएं.
इस बार के विस चुनाव में जातिगत सामाजिक समीकरणों ने बड़ी भूमिका निभाई है. भाजपा के परंपरागत मतदाताओं- राजपूतों की नाराजगी प्रभावी रही है तो ब्राह्मणों और आदिवासियों के वोटों का फिर से कांग्रेस की ओर लौटना भाजपा को भारी पड़ा है.
हालांकि, मानवेन्द्र सिंह सीएम राजे के खिलाफ चुनाव हार गए हैं, परन्तु उन्हें मंत्रिमंडल में जगह देना राजपूत समाज को कांग्रेस के साथ जोड़ने के लिए लाभदायक साबित हो सकता है. कांग्रेस को सत्ता दिलाने में दक्षिण राजस्थान का बड़ा योगदान रहता आया है, परन्तु पिछले विधानसभा चुनाव में दक्षिण राजस्थान के मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया था. इस बार स्थिति में सुधार जरूर हुआ है, किन्तु आदिवासी क्षेत्रों पर अभी और ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी. इस क्षेत्र के प्रमुख आदिवासी नेता पूर्व मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया को मंत्रिमंडल में प्रमुखता से स्थान दिए जाने की चर्चाएं हैं.
ब्राह्मण समाज के समर्थन ने कांग्रेस को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. इसके लिए राजस्थान ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष पं भंवरलाल शर्मा ने काफी प्रयास किए है. ब्राह्मण समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए पं शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.
वैसे तो कभी एक वोट से विस चुनाव हार कर सीएम की कुर्सी से दूर हो गए सीपी जोशी बड़े पॉलिटिकल गेप के बाद फिर से उभर कर आए हैं, तो उन्हें भी मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है, लेकिन अगर वे चाहेंगे तो विधानसभा अध्यक्ष जैसा सम्मानजनक समकक्ष पद दिया जा सकता है.
नवलगढ़ के विधायक पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा ने अपने क्षेत्र में अपनी पकड़ और लोकप्रियता साबित की है. वे पिछली बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते थे. वे इस बार भी जीत गए है, उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है तो बीकानेर वेस्ट से चर्चित चुनाव जीत कर आए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष बीडी कल्ला का नाम भी चर्चाओं में है.
इनके अलावा- रघु शर्मा, शांति धारीवाल, नरेन्द्र बुड़ानिया, मा. भंवरलाल, जितेन्द्र सिंह, प्रमोद जैन भाया, विश्वेन्द्र सिंह, महेश जोशी, लालचंद कटारिया, हेमराम चैधरी, दयाराम परमार, रफीक खान आदि के नाम भी चर्चा में हैं.