राजस्थानः किसान आंदोलन के कारण 12 त्योहार स्पेशल ट्रेनें रद्द, डिब्रूगढ़-लालगढ़ रेलसेवा का मार्ग परिवर्तन, देखिए लिस्ट
By भाषा | Updated: October 22, 2020 21:06 IST2020-10-22T21:06:04+5:302020-10-22T21:06:04+5:30
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी सुनील बेनीवाल ने बताया कि किसान आंदोलन के कारण उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा संचालित ट्रनें शुरुआती स्टेशन से रद्द की गई हैं।

चार नवम्बर तक लालगढ़ से चलेगी और परिवर्तित मार्ग वाया हनुमानगढ़-सादुलपुर-हिसार-भिवानी-रोहतक होकर जाएगी।
जयपुरः उत्तर पश्चिम रेलवे ने किसान आंदोलन के कारण 12 त्योहार स्पेशल ट्रेनों को रद्द किया है। वहीं डिब्रूगढ़-लालगढ़-डिब्रूगढ़ रेलसेवा का मार्ग परिवर्तन किया गया है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी सुनील बेनीवाल ने बताया कि किसान आंदोलन के कारण उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा संचालित ट्रनें शुरुआती स्टेशन से रद्द की गई हैं। एक बयान में उन्होंने बताया कि जम्मूतवी-अजमेर को 22 अक्टूबर से 4 नवम्बर तक, अजमेर-जम्मूतवी 23 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक, बाड़मेर-ऋषिकेष, ऋषिकेष-बाड़मेर, दिल्ली-बठिण्डा, बठिण्डा -दिल्ली, श्रीगंगानगर-दिल्ली, दिल्ली-श्रीगंगानगर, अजमेर-अमृतसर, अमृतसर-अजमेर, अजमेर-अमृतसर को रद्द किया गया है।
इसके साथ ही डिब्रूगढ़-लालगढ़ रेलसेवा तीन नवम्बर तक डिब्रूगढ़ से प्रस्थान करेगी वह रेलसेवा परिवर्तित मार्ग वाया रोहतक-भिवानी -हिसार-सादुलपुर-हनुमानगढ़ होकर चलेगी। वहीं लालगढ-डिब्रुगढ़ रेलसेवा चार नवम्बर तक लालगढ़ से चलेगी और परिवर्तित मार्ग वाया हनुमानगढ़-सादुलपुर-हिसार-भिवानी-रोहतक होकर जाएगी।
पंजाब के किसान संघों का मालगाड़ियों को चलने देने का निर्णय
पंजाब में किसान संघों ने तीन सप्ताह लंबे अपने ‘रेल रोको’ आंदोलन में नरमी लाते हुए राज्य में मालगाड़ियों को चलने देने की घोषणा की। किसान नेता सतनाम सिंह ने कहा कि यह निर्णय कोयले और डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कमी को ध्यान में रखते हुए किया गया। उन्होंने यहां कहा, ‘‘हमने आज से पांच नवम्बर तक केवल मालगाड़ियों को चलने देने का निर्णय किया है।’’ यह घोषणा यहां विभिन्न किसान संगठनों की एक बैठक के बाद आयी।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस घोषणा का स्वागत किया और कहा कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और उसकी बहाली के हित में है। उन्होंने कहा कि किसानों ने इस कदम से पंजाब के लोगों के प्रति प्रेम और चिंता दिखायी है क्योंकि इससे राज्य को कोयले की आपूर्ति मिल सकेगी जिसकी उसे जरूरत थी।
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि पंजाब के लोग नाकेबंदी के चलते कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट की स्थिति का सामना कर रहे थे। प्रदर्शनकारी किसान संघों का निर्णय उनके लिए एक बड़ी राहत के तौर पर आया है। प्रदर्शनकारी किसानों ने हालांकि कहा कि वे राज्य में कुछ कॉरपोरेट, टोल प्लाजा और भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर धरना जारी रखेंगे। भारतीय किसान यूनियन (दाकुन्डा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘आगामी कदम की घोषणा चार नवंबर को होने वाली बैठक में की जाएगी।’’
पंजाब सरकार राज्य में ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की भारी कमी के मद्देनजर प्रदर्शनकारी किसानों से अपने रेल रोको आंदोलन को नरम करने का आग्रह कर रही थी। कई औद्योगिक संगठनों ने भी आंदोलन के कारण अपना कच्चा माल नहीं मिलने की शिकायत की थी।
राज्य में किसानों ने कई किसान संघों के आह्वान पर एक अक्टूबर से रेल पटरियों को अवरुद्ध कर दिया था। कुछ रेल पटरियां 24 सितंबर से अवरुद्ध थीं। पंजाब विधानसभा द्वारा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को पारित चार विधेयकों पर, भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह किसानों के आंदोलन की ‘‘बड़ी उपलब्धि’’ है।