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Coronavirus: यात्री डिब्बों को संक्रमितों के लिए चलता-फिरता अस्पताल बनाने पर विचार कर रहा रेलवे

By भाषा | Updated: March 26, 2020 07:09 IST

सूत्रों ने बताया कि खाली डिब्बों और केबिन को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए आईसीयू के तौर पर इस्तेमाल करने के प्रस्ताव पर रेलमंत्री की रेलवे बोर्ड अध्यक्ष वीके यादव, सभी जोन के महा प्रबंधक और डिविजन रेलवे के प्रबंधकों के साथ बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में चर्चा की गई।

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ठळक मुद्देरेलवे कोरोना वायरस संक्रमितों को पृथक रखने के लिए यात्री डिब्बों और केबिन को देने पर मंथन कर रहा है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।भारतीय रेलवे रोजाना 13,523 यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन करता है लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी यात्री सेवाएं 14 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं।

रेलवे कोरोना वायरस संक्रमितों को पृथक रखने के लिए यात्री डिब्बों और केबिन को देने पर मंथन कर रहा है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे रोजाना 13,523 यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन करता है लेकिन कोरोना वायरस के चलते सभी यात्री सेवाएं 14 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं।

सूत्रों ने बताया कि खाली डिब्बों और केबिन को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए आईसीयू के तौर पर इस्तेमाल करने के प्रस्ताव पर रेलमंत्री की रेलवे बोर्ड अध्यक्ष वीके यादव, सभी जोन के महा प्रबंधक और डिविजन रेलवे के प्रबंधकों के साथ बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में चर्चा की गई।

उन्होंने बताया कि बैठक में शौचालय युक्त डिब्बों को पृथक वार्ड के तौर पर इस्तेमाल के प्रस्ताव के साथ इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे रेलवे की उत्पादन इकाइयों का उपयोग कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी वस्तुओं जैसे जीवन रक्षक प्रणाली, बिस्तर, ट्रॉली आदि के निर्माण में किया जा सकता है।

सूत्रों ने बताया कि यह विचार मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कहे जाने के बाद आया कि वे कोरोना वायरस के चलते चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए नवोन्मेषी उपायों पर काम करें। उन्होंने बताया कि इन डिब्बों और केबिन का इस्तेमाल चलते फिरते अस्पताल के रूप में किया जा सकता है जिसमें परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, गहन चिकित्सा कक्ष और रसोईयान (पैंट्री) की सुविधा होगी।

सूत्रों ने बताया कि रेलवे का देशभर में विस्तृत नेटवर्क है और रेलगाड़ी में स्थापित अस्पताल उन इलाकों में स्थापित किया जा सकता है जहां पर संक्रमितों की संख्या अधिक हो और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं हो।

उन्होंने बताया कि रेल डिब्बा उत्पादन इकाइयां चिकित्सा सुविधा के अनुकूल डिब्बों में बदलाव कर उत्पादन शुरू कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे के पास दुर्घटना राहत चिकित्सा उपकरण यान (एआरएमई) या रेल एंबुलेंस है जिसे कोरोना वायरस के मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एआरएमई का इस्तेमाल सामान्यत: रेल दुर्घटना के दौरान घायल यात्रियों के इलाज के लिए किया जाता है।

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