नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों में रेलवे की करीब 90 करोड़ रुपये की संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई है। इस नुकसान की भरपाई के लिए भारतीय रेलवे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। रेलवे को कोर्ट से सख्त कार्रवाई की उम्मीद है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक उच्च स्तरीय रिफॉर्म कमेटी ने मंत्रालय से कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति के हर्जाने के लिए कोर्ट में एक सिविल सूट दायर किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त करना अपराध है।
यहां यह जिक्र करना जरूरी है कि साल 2016 में हरियाणा में हुए जाट आंदोलन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आंदोलन के नाम पर देश जलाने की इजाजत नहीं दे सकते। कोर्ट ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को दंड दिया जा सके।
आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने कहा, 'हम पहली बार कमेटी की सिफारिश पर कोर्ट जाएंगे। कोर्ट में हम सिविल डैमेज का सूट दाखिल करेंगे। फिलहाल इसपर मंथन चल रहा है। आखिरी फैसला लिया जाना अभी बाकी है।'
पिछले हफ्ते केंद्रीय रेल राज्यमंत्री सुरेश अघाड़ी के एक बयान से विवाद खड़ा हो गया था। इसमें उन्होंने कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने वालों को देखते ही गोली मार देनी चाहिए।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन में भारतीय रेलवे की करीब 90 करोड़ रुपये की संपत्ति क्षतिग्रस्त हुई है। समाचार एजेंसी एएनआई ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि करीब 72 करोड़ रुपये ईस्टर्न रेलवे जोन के, 13 करोड़ रुपये साउथ ईस्टर्न रेलवे जोन के और तीन करोड़ रुपये नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर जोन के नुकसान हुए हैं।