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Rahul Gandhi LS polls 2024: अमेठी टू वायनाड वाया रायबरेली, जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति

By मनाली रस्तोगी | Updated: May 3, 2024 12:42 IST

राहुल गांधी पहले ही केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ था और 20 मई को अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर मतदान होना है.

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ठळक मुद्देलोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे.वायानाड से सांसद राहुल गांधी 2019 के चुनाव में अमेठी में भाजपा नेता स्मृति ईरानी से हार गए थे.उन्होंने पिछली बार की तरह इस बार भी दो सीटों से चुनाव लड़ने का मन बनाया है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधीरायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. वायानाड से सांसद राहुल गांधी 2019 के चुनाव में अमेठी में भाजपा नेता स्मृति ईरानी से हार गए थे. राहुल गांधी ने 2004, 2009 और 2014 में अमेठी से जीत हासिल की, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह ईरानी से संसदीय सीट हार गए. फिलहाल, इस बार वो रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं. 

बता दें कि उन्होंने पिछली बार की तरह इस बार भी दो सीटों से चुनाव लड़ने का मन बनाया है. राहुल गांधी पहले ही केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ था और 20 मई को अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर मतदान होना है. इस बीच आईए राहुल गांधी के अमेठी से वायानाड और वायानाड से रायबरेली तक के सफर पर एक नजर डालेंगे.

क्या कहते हैं राहुल गांधी के चुनावी आंकड़े? 

2004 के आम चुनाव में गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा और 66.18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 390,179 वोट हासिल करके जीत हासिल की. उन्होंने 2009 के आम चुनाव में फिर से अमेठी से चुनाव लड़ा और 464,195 वोटों और 71.78 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की. 

2014 के आम चुनाव में, उन्होंने 408,651 वोटों और 46.71 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीतकर, अमेठी में अपनी सीट बरकरार रखी. हालांकि, 2019 के आम चुनाव में, गांधी अमेठी से हार गए. उन्होंने 43.86 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 413,394 वोट हासिल किए. बहरहाल, उन्होंने उसी चुनाव में वायनाड से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और 64.67 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 706,367 वोट हासिल किए.

राहुल गांधी ने अमेठी से की थी अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत

इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी को कांग्रेस ने इस बार अमेठी से न उतारकर रायबरेली से मैदान में उतारने का फैसला किया है. बता दें कि अमेठी से उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी शुरुआत की और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नेता स्मृति ईरानी से हारने से पहले कई बार जीत हासिल की. गांधी ने 2004 में 14वां आम चुनाव अमेठी से लड़ा और जीता. उन्होंने 2009 और 2014 में हुए आम चुनावों में यहीं से फिर से जीत हासिल की.

बता दें कि गांधी से पहले उनकी मां और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी अमेठी से चुनाव लड़ती थी. इसके बाद उन्होंने पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में ट्रांसफर ले लिया. उनके रायबरेली चले जाने के बाद से अमेठी की सीट पर राहुल गांधी ने लगातार तीन पर जीत हासिल की. 

2014 में भले ही कांग्रेस लोकसभा चुनाव भाजपा से हार गई हो, लेकिन राहुल गांधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की स्मृति ईरानी को तब 107,000 वोटों के कम अंतर से हराकर अमेठी सीट पर कब्जा किया था. हालांकि, 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने दमदार वापसी करते हुए गांधी को 55,120 वोटों के अंतर से हराया. उस साल गांधी ने 60 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ वायनाड सीट जीती.

वायानाड से रायबरेली तक का सफर

ऐसा माना जाता है कि गांधी परिवार के अन्य क्षेत्र अमेठी की तुलना में रायबरेली अधिक सुरक्षित सीट है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अमेठी का मतलब एक और कड़ा मुकाबला होता क्योंकि वहां से एक बार फिर स्मृति ईरानी चुनाव लड़ रही हैं. 

2019 के चुनाव में जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अन्य सीटों से सफाया हो गया, तो सोनिया गांधी रायबरेली में 55.8 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही थीं. चूंकि, अब सोनिया गांधी राज्यसभा चली गई हैं, इस वजह से अब ये सीट राहुल गांधी के पाले में आ गई है. 

इसके अलावा सोनिया गांधी के राज्यसभा में जाने के बाद कांग्रेस के लिए यह जरूरी है कि कोई शीर्ष नेता उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व करे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (कर्नाटक), महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल (केरल), और मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश (कर्नाटक) दक्षिण से हैं. उत्तर भारत से अपने शीर्ष नेता को मैदान में उतारना राजनीतिक रूप से समझदारी थी.

दक्षिण भारत में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है. उत्तर भारतीय राज्यों में विशेष रूप से छह राज्यों में जहां वह भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में है, अगर पार्टी को सत्ता दोबारा हासिल करनी है तो उसे अपनी संख्या में सुधार करना होगा. 

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने कर्नाटक और तेलंगाना में जीत हासिल की, लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता खो दी. उत्तर भारत में कांग्रेस केवल हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है और झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है.

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