FACT CHECK:राहुल गांधी राफेल पर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं, यहां है उनके हर आरोप की पड़ताल
By विकास कुमार | Published: January 3, 2019 02:09 PM2019-01-03T14:09:11+5:302019-01-03T18:12:32+5:30
सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुका विपक्ष अब जेपीसी की मांग कर रहा है. वहीं सरकार का कहना है कि राफेल के सौदे में कांग्रेस जिन मुद्दों को उठा रही थी, उसका जवाब सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है.
तीन राज्यों में चुनावी जीत से पहले से ही राहुल गांधी राफेल के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे थे। इसी बीच हिंदी हार्टलैंड में मिली जीत ने उन्हें इस मुद्दे पर और भी मुखर कर दिया है। चौकीदार चोर है और उसके बाद लगातार प्रेस कांफ्रेंस से राहुल गांधी राफेल को बोफोर्स बनाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनके आरोपों में वो धार नहीं दिख रही है, जैसा ऑगस्टा और बोफोर्स में दिखता था।
उनके पास आरोप हैं लेकिन सबूत नहीं है। तो क्या समझ ले कि राहुल गांधी अब नरेन्द्र मोदी को हटाने के लिए केजरीवाल स्टाइल में पॉलिटिक्स करेंगे, जहां आरोप तो होंगे लेकिन उसे साबित करने के नाम पर केवल राजनीतिक विद्वेष के जुमले होंगे।
सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुका विपक्ष अब जेपीसी की मांग कर रहा है। वहीं सरकार का कहना है कि राफेल के सौदे में कांग्रेस जिन मुद्दों को उठा रही थी, उसका जवाब सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है। तो फिर संसद की समिति सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कैसे ओवरटेक कर सकती है।
जानते हैं क्या है कांग्रेस के आरोप और क्या है हकीकत
आरोप- भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस डील के लिए ज्यादा पैसे खर्च किये
तथ्य - हकीकत ये है कि यूपीए सरकार ने राफेल डील साइन ही नहीं किया था। मोदी सरकार की राफेल डील यूपीए प्रस्तावित डील से बिलकुल अलग था।
भारत के रक्षा मानकों पर खरी है डील
राफेल के साथ ही भारत ऐसे हथियारों से लैस हो जायेगा जिसका एशिया महाद्वीप में कोई सानी नहीं। राफेल METEOR , SCALP और MICA मिसाइल से भी लैस है।
टेकनोलॉजी ट्रांसफर पर भी हुआ करार
रिलायंस के साथ जॉइंट वेंचर के माध्यम से डेसॉल्ट कंपनी भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर रहा है। ये संयुक्त उद्यम पहले स्पेयर पार्ट्स बनाएगा, फिर एयरक्राफ्ट बनाएगा।
इन्फ्लेशन का लाभ भारत को मिलेगा
यूपीए ने 3.9 प्रतिशत इन्फ्लेशन रखा था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे 3.5 करवा दिया। अब डेसॉल्ट की जिम्मेदारी है कि फ्लीट का 75 प्रतिशत हर हाल में ऑपरेशनल रहे।
आरोप : हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के जगह रिलायंस डिफेन्स को तरजीह दी गई
तथ्य : रिलायंस डिफेन्स इस डील में शामिल एक मात्र कंपनी नहीं है। डसॉल्ट एविएशन ने 72 ऑफसेट पार्टनर के साथ ये करार किया है जिनमें गोदरेज, एल&टी, टाटा एडवांस सिस्टम भी शामिल हैं। ये डील भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए वरदान साबित होगी।
आरोप: कांग्रेस का आरोप है कि इस डील को फाइनल करने से पहले नरेंद्र मोदी ने ने कैबिनेट सुरक्षा समिति की सहमति नहीं ली थी।
तथ्य: प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल डील की घोषणा अप्रैल 2015 में फ्रांस में किया था। कैबिनेट सुरक्षा समिति ने डील के ऊपर अगस्त 2016 में अपनी मुहर लगा दी और सितम्बर 2016 में दसॉल्ट के साथ डील साइन की गई।
आरोप: राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि इस डील में कोई भी गोपनीय शर्त मौजूद नहीं है।
तथ्य : इस डील के दो पहलू हैं, व्यावसायिक और तकनीकी। तकनीकी क्षेत्र में मिसाइल सम्बन्धी जानकारियां हैं और व्यावसायिक पहलुओं का संसद की स्थायी समिति के समक्ष खुलासा किया जा सकता है।