कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे को लेकर पार्टी में कोहराम मचा हुआ है. राहुल इस्तीफा वापस लेने के लिए तैयार नहीं है, और पार्टी के नेता उसे मंजूर करने के लिए तैयार नहीं है. नतीजा कांग्रेस महत्वपूर्ण मुद्दों पर नेतृत्वविहीन हो गई है. पार्टी के इस दुविधा के संकेत आज उस समय साफ नजर आए जब कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में पार्टी के लोकसभा सदस्यों ने राहुल को दो टूक कहा कि पार्टी कठिन दौर से गुजर रही है, ऐसे समय पार्टी उनके स्थान पर किसी दूसरे नेता को अध्यक्ष स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.
सोनिया गांधी की मौजूदगी में जब सांसदों ने यह सवाल उठाया तो राहुल ने भी दो टूक जवाब दिया कि वे चुनाव नतीजों से पहले ही तय कर चुके थे कि यदि पार्टी चुनाव हारती है तो वे नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और अपना पद छोड़ देगें. उन्होंने सांसदों को साफ कहा कि वे अपने फैसले पर पूरी तरह अड़िग है और उसमें कोई बदलाव नहीं करेगें. राहुल की इस टिप्पणी पर कुछ सांसदों ने बैठक में ही राहुल को सीधे-सीधे बोला कि उनके इस्तीफे का मतलब है भाजपा की चाल में फंसना. यदि उन्होंने इस्तीफा वापस नहीं लिया तो कांग्रेस तार-तार हो जाएगी. इसलिए उनके इस फैसले को पार्टी के सांसद स्वीकार नहीं करेगें.
इससे पूर्व राहुल के आवास पर आज सुबह देशभर के युवक कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया. हजारों-हजार की संख्या में आए कार्यकर्ताओं ने राहुल ने इस्तीफा वापस लेने की मांग की. इन नेताओं के साथ पार्टी के बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और पूर्व केंद्रीय मंत्री जे डी सिलेम भी थे.
यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने राहुल के सामने दलील दी कि जब पार्टी के सामने कठिन दौर की सबसे बड़ी चुनौती है उस समय आपने नेतृत्व छोड़ रहे है जो स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जो मजबूत नेतृत्व आप पार्टी को दे सकते है वह कोई दूसरा नेता नहीं दे सकता. प्रदर्शन करने वाले नेताओं में युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव यादव, उपाध्यक्ष वी.वी. श्रीनिवास सहित दूसरे नेता शामिल थे.
गौरतलब है कि 25 मई को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चुनाव नतीजों के तुरंत बाद पराजय की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी. जिसे कार्यसमिति ने एक स्वर से ठुकरा भी दिया था, तब से अब तक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर असंमजस की स्थिति बनी हुई है ऐसे समय में जब महाराष्ट्र, हरियाणा, सहित दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव होने है.