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Rahul Gandhi In Bihar: विधानसभा चुनाव से पहले दलित मतदाताओं को साधने में जुटी कांग्रेस?, नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रहे हैं राहुल गांधी

By एस पी सिन्हा | Updated: February 5, 2025 16:34 IST

Rahul Gandhi In Bihar: कांग्रेस भी चुनावी रणनीति के तहत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसी वजह से राहुल गांधी को 18 दिन में बुधवार को दूसरी बार बिहार दौरे पर आए। 

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ठळक मुद्दे क्या राहुल गांधी बिहार दौरा कर के पार्टी में नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रहे हैं?कांग्रेस बिहार में अपना खोया हुआ वजूद वापस लाना चाहती है? राहुल गांधी बुधवार को जगलाल चौधरी के 130वीं जयंती समारोह में शामिल हुए।

पटनाः बिहार विधानसभा का चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाला है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटी हैं। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के माध्यम से एक बार फिर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव भी कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाकर पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। इसी बीच कांग्रेस भी चुनावी रणनीति के तहत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसी वजह से राहुल गांधी को 18 दिन में बुधवार को दूसरी बार बिहार दौरे पर आए।

ऐसे में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या राहुल गांधी बिहार दौरा कर के पार्टी में नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रहे हैं? दरअसल, कांग्रेस बिहार में अपना खोया हुआ वजूद वापस लाना चाहती है? इसलिए राहुल गांधी भी बिहार को लेकर सक्रियता दिखाने लगे हैं। राहुल गांधी बुधवार को जगलाल चौधरी के 130वीं जयंती समारोह में शामिल हुए।

कांग्रेस स्वर्गीय जगलाल चौधरी की जयंती के बहाने दलितों को साधने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस पिछड़े और दलित मतदाताओं को लुभाने पर जोर दे रही है। राहुल गांधी पिछले दिनों पटना में संविधान सुरक्षा सम्मेलन में भी राज्यभर के दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल हुए थे।

जयंती समारोह को भी कांग्रेस की चुनावी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है। बता दें कि जगलाल चौधरी ने सबसे पहले बिहार के छह जिलों में शराबबंदी लागू की थी। वर्ष 1937 में बनी सरकार में ये मंत्री भी रहे। ये उस दौर के दलित नेता थे जिनका विशेष प्रभाव था। ऐसे में कांग्रेस जगलाल चौधरी के बहाने दलित मतदाताओं को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है।

उल्लेखनीय है कि बिहार में कांग्रेस के साथ विडंबना यह है कि यह पार्टी करीब 34 सालों से अपने दम पर सत्ता में नहीं आ सकी है। यह पार्टी 34 साल पहले तक बिहार में एक छात्र राज करती थी। 1990 में जब लालू प्रसाद यादव का बिहार की राजनीति में आगमन हुआ उसके बाद से कांग्रेस पार्टी धीरे-धीरे सिमटती चली गई।

उसके मतदाता भी उससे कटते चले गए। वर्ष 2000 में जब बिहार का विभाजन हुआ और झारखंड बना, उसके बाद 2000 से लेकर के 2025 तक यह पार्टी जब भी महागठबंधन के घटक दल के रूप में शामिल होते हुए बिहार में सत्ता में आई, वह राजद के बैसाखी पर ही टिकी रही।

इसमें वर्ष 2000 से 2005, सन 2015 से 2017 और 2023 से 2024 के शुरुआती महीने तक कांग्रेस, बिहार में सहयोगी दल के रूप में शामिल रही है। अब जबकि इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस पार्टी इस विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। 2020 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस पार्टी ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारे थे।

जिनमें से उनको 19 सीटों पर जीत हुई थी। कांग्रेस पार्टी का यह दवा 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद आया है। जिसमें कांग्रेस पार्टी ने तीन लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारी थी।

इसबीच सियासी गलियारे में यह चर्चा होने लगी है कि कांग्रेस अब राहुल गांधी के इस बदलते तेवर के साथ राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के निर्णय के तहत छतरी नहीं खोलेगी। अब यह सब महागठबंधन में रहते कैसे होगा या फिर एकला चलेंगे यह तो समय बताएगा। लेकिन इतना तो तय है कि कांग्रेस फूल स्पीड के साथ बिहार विधान सभा चुनाव लड़ेगी।

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