राफेल डील मामले में खुलासा! रिलायंस कंपनी ने की थी फ्रांस के राष्ट्रपति के पार्टनर की मदद
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: August 31, 2018 12:19 PM2018-08-31T12:19:15+5:302018-08-31T16:47:12+5:30
राफेल डील को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच बयानों का दौर जारी है। ऐसे में अब श्रेणी में एक बड़ा खुलासा हुआ है।
नई दिल्ली, 31 अगस्त: राफेल डील को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच बयानों का दौर जारी है। ऐसे में अब श्रेणी में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार 2016 के तत्कालीन फांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद 26 जनवरी से ठीक दो पहले भारत आए थे और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ 36 राफेल एयरक्राफ्ट की डिलीवरी के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इसी समय अनिल अंबानी की रिलाइंस कंपनी ने फ्रांस राष्ट्रपति की पार्टनर अभिनेत्री जूली गाए के साथ एक फिल्म बनाने उतरे थे। इसी समय अंबानी की रिलायंस डिफेंस नेदसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएल) के जरिए 59,000 करोड़ रुपये के राफेल सौदे का हिस्सा बनी थी। कहा जा रहा है इसमें अंबानी की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। राफेल को बनाने वाली फ्रांसीसी कपंनी दसॉल्ट एविएशन की डीआरएल में 49 फीसदी की भागीदारी है।
रिलाइंस की ओर से फ्रेंच फिल्म बनाने की सार्वजनिक तौर पर उस समय घोषणा भी की गई थी। रिलाइंस के द्वारा जिस फिल्म को बनाने में मदद की गई थी वह 20 दिसंबर 2017 को रिलीज हुई लेकिन ये भारत में रिलीज नहीं की गई। इससे पहले सॉल्ट एविएशन के चेयकमैन इरिक ट्रैरिएर और अंबानी की मौजूदजी में फ्रांसीसी रक्षामंत्री फ्लोरेंस पर्ली के सामने में नागपुर में डीआरएएल ने शिलान्यास किया था।
वहीं, मुद्दे को राहुल गांधी संसद में भी उठा चुके हैं। कांग्रेस पार्टी मॉनसून सत्र के दौरान भी संसद परिसर में प्रदर्शन कर चुकी है। कांग्रेस ने राफेल सौदे को नरेंद्र मोदी सरकार का एक घोटाला करार दे चुके है। वहीं बीजेपी भी इस मुद्दे लेकर साफ तौर पर इनकार कर रही है। तो आइए जानते हैं कि पिछले कुछ महीनों से जिस डील को लेकर इतना विवाद हुआ है।
फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, 10 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकारों के स्तर पर समझौते के तहत भारत सरकार 36 राफेल विमान खरीदेगी। घोषणा के बाद, विपक्ष ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी के बिना कैसे इस सौदे को अंतिम रूप दिया। मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच वार्ता के बाद 10 अप्रैल, 2015 को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वे 36 राफेल जेटों की आपूर्ति के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करने पर सहमत हुए।
कांग्रेस ने विमान की कीमत और कैसे प्रति विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,670 करोड़ रुपये की गई यह भी बताने की मांग की है। सरकार ने भारत और फ्रांस के बीच 2008 समझौते के एक प्रावधान का हवाला देते हुए विवरण साझा करने से इंकार कर दिया है।