नई दिल्ली:भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान बेचने का सौदा हासिल करने के लिए फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉल्ट ने करीब 65 करोड़ रुपये का घूस एक बिचौलिए को दिया था. इस संबंध में दस्तावेज मौजूद होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने जानबूझकर इसकी जांच नहीं की.
ये सनसनीखेज दावे फ्रांसीसी समाचार पोर्टल मीडियापार्ट ने अपनी नई रिपोर्ट में किया है. मीडियापार्ट 59 हजार करोड़ के राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच कर रहा है.
मीडियापार्ट ने कथित तौर पर एक झूठा बिल प्रकाशित किया है और उसका कहना है इससे दसॉल्ट ने कथित बिचौलिए सुशेन गुप्ता को गुप्त तरीके से घूस दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर, 2018 से ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के पास इस बात के सबूत थे कि राफेल जेट बेचने में सुशेन गुप्ता को घूस मिला था. इसके बावजूद भारतीय केंद्रीय पुलिस जांच नहीं करने का फैसला किया.
ये सबूत अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा बेचे गए वीवीआईपी चॉपर के घोटाले की जांच के दौरान दोनों एजेंसियों को मिले थे और इनमें से घूस की कुछ राशि 2013 से पहले दी गई थी.
गौरतलब है कि, पांच महीने पहले मीडिया पार्ट की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के साथ 59000 करोड़ रुपये के राफेल विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मामले में फ्रांस के एक न्यायाधीश को ‘बहुत संवेदशील’ न्यायिक जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
लोकसभा चुनाव,2019 से पहले कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे को लेकर कई सवाल खड़े किये थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था.