Punjab Floods: पंजाब की बाढ़ ने कैसे 1988 की दर्दनाक यादें ताजा कीं?, 12 जिलों में हालात खराब, 1000 गांव जलमग्न, 29 की मौत, ब्यास, सतलुज, रावी उफान पर, स्कूल-कॉलेज बंद, वीडियो
By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 2, 2025 14:12 IST2025-09-02T14:10:50+5:302025-09-02T14:12:45+5:30
Punjab Floods: पंजाब में अगस्त में 253.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 74 प्रतिशत ज़्यादा और 25 सालों में सबसे ज़्यादा है।

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चंडीगढ़ः पंजाब के कई हिस्सों में कई दिन से भारी बारिश हो रही है। 12 जिलों में हालात खराब है और अभी तक 29 लोगों की मौत हो गई है। पंजाब में "हाल के इतिहास की सबसे भीषण बाढ़" से जूझते हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। संकट इतना गंभीर था कि चीन से लौटते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को फ़ोन करके स्थिति का जायज़ा लिया। भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण 12 ज़िले जलमग्न हो गए हैं। पंजाब में अगस्त में 253.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 74 प्रतिशत ज़्यादा और 25 सालों में सबसे ज़्यादा है।
Respected Prime Minister Shri Narendra Modi Ji, @narendramodi 🙏
— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) August 31, 2025
I humbly request you to kindly take note of the grave situation unfolding in Punjab due to heavy floods. Many villages are severely affected, and countless farmers (kisans) are suffering immense losses as their… pic.twitter.com/mQXFHxH9os
मान ने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है। पंजाब पिछले तीन दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का, जालंधर और रूपनगर (रोपड़) सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले प्रमुख जिलों में 1000 से ज़्यादा गाँव जलमग्न हो गए हैं। सतलुज, व्यास, रावी और घग्गर खतरे के निशान पर बह रही हैं।
In Hebrew it is said, Whoever saves one life, saves the world entire.
— Vidit Sharma 🇮🇳 (@TheViditsharma) August 30, 2025
In Punjab, where the land has been devastated by floods, people are showing us what true humanity looks like saving every life they can, both human and animal.
Look at this man who risked his own life to… pic.twitter.com/lTWluJ8zyg
Rescue Operations & HADR Mission Continue. Indian Army Aviation, Indian Air Force and Ground Columns have evacuated more than 1600 personnel till now including 11 Officials from #Punjab#Government and 212 #Paramilitary Personnel stranded due to floods along #Chenab, #Ravi &… pic.twitter.com/yZ7zsP9utQ
— Western Command - Indian Army (@westerncomd_IA) August 28, 2025
#Punjab is battling severe floods, claiming 29 lives across all 12 affected districts since August 1.
Over 2.46 lakh people have been affected, with 1.45 lakh in Gurdaspur. More than 15 thousand 600 persons have been evacuated.
Widespread rain has worsened the situation.… pic.twitter.com/SoDoItDPfD— All India Radio News (@airnewsalerts) September 2, 2025
इस स्थिति ने पंजाब के कई लोगों को 1988 की विनाशकारी बाढ़ की याद दिला दी है, जिसने राज्य को इस हद तक पंगु बना दिया था कि जो कुछ भी बर्बाद हुआ था, उसे पूरी तरह से बहाल करने में दो साल से ज़्यादा का समय लग गया था। पंजाब में आई बाढ़ ने 1988 की भयावह यादें ताज़ा कर दी हैं, जब सतलुज, ब्यास और रावी नदियाँ 'दुखों के जल' में बदल गई थीं और 500 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी।
1988 में पंजाब में आई बाढ़ में क्या हुआ था?
1985 की पंजाब बाढ़ को 1955 की बाढ़ के बाद स्वतंत्र भारत की सबसे विनाशकारी बाढ़ आपदाओं में से एक माना जाता है। सितंबर 1988 में भारी बारिश और उफान पर आई नदियों ने पूरे राज्य में व्यापक तबाही मचाई। भाखड़ा बाँध (सतलुज पर) और पौंग बाँध (व्यास पर) को बाँधों की सुरक्षा के लिए भारी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ा, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई।
कमज़ोर तटबंधों और बाँधों में दरारों के कारण ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में अनियंत्रित जलस्तर बढ़ गया।स्थानीय निवासियों को याद है कि कैसे व्यास नदी इतनी उफान पर थी कि उसका पानी पंजाब से बाहर के इलाकों में पानी भर गया था और पानीपत तक पहुँच गया था।
पंजाब में, जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला, लुधियाना, फिरोजपुर, रोपड़, अमृतसर, पटियाला और संगरूर के कुछ हिस्सों में 1988 में आई बाढ़ का सबसे बुरा असर पड़ा था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 10 लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए थे। कई लाख एकड़ में धान, कपास, गन्ना और मक्का की खड़ी फसलें नष्ट हो गईं, जिससे पंजाब की कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचा।
पंजाब-हरियाणा बारिश से बेहाल, चंडीगढ़ में मंगलवार को सभी स्कूल बंद
हरियाणा व पंजाब के कई हिस्सों में सोमवार को भारी बारिश हुई तथा अधिकारियों ने आने वाले दिनों में और बारिश होने के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए कई एहतियाती कदम उठाये हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण सोमवार को यमुना समेत कुछ नदियों का जलस्तर बढ़ गया, जिसके बाद अधिकारियों को यमुनानगर जिले में हथिनीकुंड बैराज के द्वार खोलने पड़े।
एहतियात के तौर पर, कुछ प्रभावित इलाकों में मंगलवार को स्कूल बंद रखने का आदेश दिया गया है। वहीं पिछले कुछ दिनों से चंडीगढ़ में हो रही भारी बारिश के कारण शहर के सभी स्कूल मंगलवार को बंद रहेंगे। यह निर्णय सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के मुख्य सचिव (प्रभारी) मंदीप सिंह बराड़ की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद लिया गया।
बैठक में भारी बारिश से निपटने के लिए शहर की तैयारियों की समीक्षा की गई। चंडीगढ़ में रविवार से अब तक लगभग 100 मिलीमटर (मिमी) बारिश हो चुकी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सोमवार शाम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपायुक्तों के साथ बैठक की और राज्य भर में बारिश व बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करते हुए जिला प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन जिलों में स्कूल बंद करने के आदेश हैं, वहां ‘पूरी तरह से स्कूल बंद’ हों। एक बयान के अनुसार, सैनी ने निर्देश दिया कि बाढ़ प्रभावित पंजाब से हरियाणा आने वाले लोगों के लिए तुरंत आश्रय, भोजन और अन्य आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
वहीं, बाढ़ प्रभावित पंजाब के कई हिस्सों में सोमवार को भारी बारिश हुई, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण सतलुज, व्यास व रावी नदियां और मौसमी छोटी नदियां उफान पर हैं। पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर जिले सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल हैं।
जहां कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। होशियारपुर जिले में हुई बारिश ने बाढ़ की स्थिति को और बिगाड़ दिया, जिससे पानी अन्य गांवों में घुस गया और निचले इलाकों में फसलों को नुकसान पहुंचा। गढ़शंकर और होशियारपुर उप-मंडल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। रात भर हुई बारिश के बाद हकुमतपुर, बद्दों, अलावलपुर, भाना, ठक्करवाल और खानपुर गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया।
वहीं भाना और अलावलपुर में भी पानी घरों में घुस गया। गढ़शंकर के एसडीएम संजीव कुमार ने बताया, “प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था की है और सरकारी सहायता से आस-पास के गुरुद्वारों के माध्यम से पका हुआ भोजन परोसा जा रहा है।” उन्होंने बताया कि रविवार शाम को बारिश के कुछ देर रुकने के बाद जलस्तर कम हुआ था लेकिन रात भर हुई भारी बारिश ने मुसीबत और बढ़ा दीं। अधिकारी ने बताया, “कुछ गांवों में खेत और गलियां अभी भी पानी में डूबी हुई हैं।”




