नई दिल्ली: पंजाब में मतदान की तारीख ज्यों ज्यों नज़दीक आ रही है। कांग्रेस की आंतरिक कलह भी गहराती जा रही है, जिससे पार्टी की सत्ता में वापसी की कोशिश को गहरा धक्का लग सकता है। पंजाब में मतदान से महज 7 दिन पहले कांग्रेस के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सक्रीय राजनीती से सन्यास लेने की घोषणा कर पार्टी आलाकमान को मुश्किल में डाल दिया है।
नवजोत सिंह सिद्धू का कांग्रेस आलाकमान को संकेत
वहीं प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धू बार-बार यह कहने के बावजूद कि पार्टी नेतृत्व के फैसले के वह साथ खड़े हैं उनके तेवर आज भी जस के तस बने हुए हैं। सिद्धू ने आज कांग्रेस आलाकमान को संकेत दिए कि उनका अगला कदम उनके साथ चलने वाले और पंजाब के लोग तय करेंगे।
सिद्धू और जाखड़ के अलावा एक तीसरा गुट भी कांग्रेस में भितरघात की कोशिश में लगा है। इसमें पार्टी के वह नेता शामिल हैं जो पार्टी में रहते हुए कांग्रेस से बगावत कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंद्र सिंह के लिए काम कर रहे हैं। इस कड़ी में सांसद मनीष तिवारी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। जाखड़ की प्रदेश के हिन्दू मतदाताओं पर है गहरी पकड़
जाखड़ की प्रदेश के हिन्दू मतदाताओं पर गहरी पकड़ है और वह लगभग 40 सीटों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सकते हैं। जाखड़ की नाराजगी मुख्यमंत्री पद देने के फैसले के साथ साथ अपने समर्थकों को टिकट न देने को लेकर बनी हुई है, हालाँकि चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने से वह नाराज़ नहीं हैं। सिद्धू की नाराज़गी केवल मुख्यमंत्री के पद को लेकर है।
20 फरवरी को एक ही चरण में मतदान होना है। नतीज़ा कांग्रेस नेतृत्व इन नाराज नेताओं को मनाने में जुट गया है। सूत्र बताते हैं कि राहुल और प्रियंका इन नाराज नेताओं से अलग-अलग बात कर रहे हैं ताकि तुरंत इस मसले को शांत किया जा सके।