सैन्य सेवा में लंबे समय तक तनाव-दबाव के कारण हो सकता कैंसर?, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछे कई सवाल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 5, 2025 16:31 IST2025-10-05T16:30:14+5:302025-10-05T16:31:24+5:30

न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया था कि कुमारी सलोचना वर्मा को उनके बेटे की मौत की तिथि से विशेष पारिवारिक पेंशन दी जाए।

Punjab and Haryana High Court questions Central Government Can prolonged stress and strain in military service cause cancer | सैन्य सेवा में लंबे समय तक तनाव-दबाव के कारण हो सकता कैंसर?, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछे कई सवाल

सांकेतिक फोटो

Highlightsधूम्रपान से होने वाले कैंसर को छोड़कर, बाकी सभी कैंसर सैन्य सेवा के कारण माने गए हैं।याचिकाकर्ता ने न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द किए जाने का अनुरोध किया था।वर्मा के बेटे को 12 दिसंबर, 2003 को सेना में भर्ती किया गया था।

चंडीगढ़ः पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कैंसर के कारण मारे गए एक सैन्यकर्मी को विशेष पारिवारिक पेंशन देने के खिलाफ दायर केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सैन्य सेवा में लंबे समय तक तनाव एवं दबाव के कारण यह बीमारी हो सकती है। अदालत ने याचिकाकर्ता के कर्मचारियों संबंधी नियमों का भी हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि धूम्रपान से होने वाले कैंसर को छोड़कर, बाकी सभी कैंसर सैन्य सेवा के कारण माने गए हैं। न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी और न्यायमूर्ति विकास सूरी की खंडपीठ ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (चंडीगढ़) के 2019 के एक आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया था कि कुमारी सलोचना वर्मा को उनके बेटे की मौत की तिथि से विशेष पारिवारिक पेंशन दी जाए।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि वर्मा का बेटा ‘रेट्रोपेरिटोनियल सर्कोमा’ (एक प्रकार का कैंसर) से पीड़ित था और 24 जून, 2009 को उसकी मौत हो गई थी। वकील ने कहा कि मेडिकल बोर्ड ने पाया कि यह बीमारी ‘‘सैन्य सेवा के कारण न तो हुई और न ही इसके कारण बढ़ी।’’ याचिकाकर्ता ने न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द किए जाने का अनुरोध किया था।

अदालत ने पिछले महीने अपने आदेश में कहा था कि वर्मा के बेटे को 12 दिसंबर, 2003 को सेना में भर्ती किया गया था और उस समय उसकी चिकित्सकीय जांच की गई थी तथा वह हर प्रकार से स्वस्थ पाया गया था। अदालत ने धर्मवीर सिंह बनाम भारत संघ एवं अन्य, 2013 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई सैनिक भर्ती के समय स्वस्थ पाया जाता है।

बाद में उसे कोई बीमारी हो जाती है तो ऐसे मामले में यह माना जा सकता है कि उसकी बीमारी सैन्य सेवा के कारण हुई या उसके कारण बढ़ी है। पीठ ने कहा कि वर्मा के बेटे को जो बीमारी थी, वह एक दिन में अचानक सामने नहीं आई; बल्कि यह एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जिसमें शरीर की सामान्य कोशिकाएं घातक ट्यूमर कोशिकाओं में बदल जाती हैं।

ऐसा ‘‘रोगी के लंबे समय तक लगातार तनाव सहने के परिणामस्वरूप’’ हो सकता है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादी संख्या एक (वर्मा) का बेटा छह साल तक सेना में सेवारत रहा और विभिन्न पदों पर उसकी तैनाती एवं उस दौरान उसके द्वारा झेले गए तनाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि लंबे समय तक तनाव और दबाव के कारण उसे कैंसर हुआ।’’ भाषा सिम्मी नेत्रपाल नेत्रपाल

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