Punjab AAP-Congress: कांग्रेस नेता और पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार के बाद आप की पंजाब इकाई को आंतरिक कलह तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने एक कदम आगे बढ़कर दावा किया, ‘‘पंजाब में 30 से अधिक आप विधायक हमारे संपर्क में हैं।’’ हालांकि, आप नेताओं ने इन दावों को खारिज कर दिया। कांग्रेस सांसद और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दावा किया कि मध्यावधि चुनाव हो सकता है, क्योंकि दिल्ली में हार के बाद आप के विधायक बड़ी संख्या में पार्टी छोड़ देंगे।
प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक कुलदीप सिंह ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों चाहेंगे कि आप पंजाब में विभाजित हो जाए, क्योंकि वे इसे 2027 के विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानते हैं। अगर आप संयोजक अरविंद केजरीवाल लुधियाना (पश्चिम) से चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं, तो यह पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के अंत का संकेत हो सकता है।
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल मंगलवार को दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्य के मंत्रियों और पार्टी विधायकों से मुलाकात करने वाले हैं। यह बैठक दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार और पार्टी की पंजाब इकाई में आंतरिक असंतोष की बढ़ती अटकलों के मद्देनजर हो रही है।
दिल्ली चुनाव और पंजाब पर इसके प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, रंधावा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केजरीवाल ने कहा था कि अगर मैं भ्रष्ट हूं, तो मुझे वोट मत देना। अब दिल्लीवासियों ने अपनी मुहर लगा दी है और केजरीवाल बुरी तरह हार गए।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘उनकी (आप) बैठकें दिल्ली में हो रही हैं, जबकि केजरीवाल को वहां (पंजाब) जाना चाहिए था।
उनके कई विधायक अलग-अलग दलों के संपर्क में हैं। कई लोग पार्टी छोड़ देंगे। मैं कांग्रेस आलाकमान से आग्रह करना चाहूंगा कि हम उनके विधायकों और मंत्रियों को अपने साथ लेने से बचें।’’ आप विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने के दावे वाली खबरों पर रंधावा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान लंबे समय से दिल्ली के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे उनके संपर्क में रहेंगे तो मुझे लगता है कि भविष्य में पंजाब को नुकसान होगा।’’ रंधावा ने दावा किया, ‘‘मध्यावधि चुनाव होगा। अगर कुछ नेता भाजपा में जाते हैं तो उपचुनाव होंगे। भगवंत मान का कोई नियंत्रण नहीं है... इसलिए संभावना है कि मध्यावधि चुनाव होगा। अगर वे (आप विधायक) कहीं जाते हैं, तो वे कांग्रेस में आ जाएंगे क्योंकि भाजपा का पंजाब में कोई भविष्य नहीं है।’’
भगवंत मान नीत सरकार की उल्टी गिनती शुरू: भाजपा ने आप की पंजाब इकाई में हलचल पर कहा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर अपना हमला तेज कर दिया है तथा पार्टी महासचिव तरुण चुघ ने सोमवार को दावा किया कि ‘भगवंत मान नीत सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।’ चुघ की यह टिप्पणी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार के बाद उसकी पंजाब इकाई में असंतोष की अटकलों के बीच आई है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित किए गए। मंगलवार को दिल्ली में आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की पंजाब के मुख्यमंत्री मान, मंत्रियों और विधायकों के साथ एक बैठक होने वाली है। इस कदम से राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गयी हैं। चुघ ने दावा किया कि पंजाब के लोगों का आम आदमी पार्टी (आप) से मोहभंग हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली ने ‘आप-दा’ (आपदा) से छुटकारा पा लिया और अब पंजाब के लोग भी ‘आप-दा’ से मुक्ति चाहते हैं। भगवंत मान नीत सरकार शराब, रेत और खनन माफिया से निपटने में विफल रही है।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पंजाब में एक मजबूत विपक्ष के रूप में काम करेगी।
पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन से नवनिर्वाचित भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि केजरीवाल मान को दरकिनार कर सकते हैं। सिरसा ने दावा किया, ‘‘ऐसा कहा जा रहा है कि केजरीवाल यह कहकर भगवंत मान को अक्षम घोषित कर देंगे कि उन्होंने महिलाओं को 1,000 रुपये देने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण जैसे वादे पूरे नहीं किए हैं।
इसके बाद वह खुद ही कमान संभाल लेंगे।’’ उन्होंने मान को आगाह करते हुए कहा, ‘‘केजरीवाल किसी के प्रति वफादार नहीं हैं। उन्होंने सभी को धोखा दिया है।’’ आप सांसद मलविंदर सिंह कंग ने बाजवा की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘बाजवा साहब असंभव सपने देख रहे हैं - बिल्कुल ‘मुंगेरीलाल के सपने’ की तरह, जो कभी पूरे नहीं होंगे।
यहां तक कि उनके अपने भाई भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।’’ कंग ने आप के भीतर असंतोष की अटकलों को तवज्जो नहीं देते हुए केजरीवाल की पंजाब के विधायकों के साथ बैठक को ‘नियमित रणनीति बैठक’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी एक सतत प्रक्रिया है। भगवंत मान हमारे नेतृत्व के साथ हमारे राष्ट्रीय संयोजक से मिलेंगे। यह भविष्य की रणनीतियों को आकार देने के लिए नियमित चर्चा का हिस्सा है।’’
इस बढ़ती राजनीतिक हलचल की तुलना महाराष्ट्र में 2022 के परिदृश्य से की जा रही है, जहां एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था और उसके फलस्वरूप अंततः महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गयी थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने पंजाब में भी ऐसी ही स्थिति का संकेत देते हुए कहा,‘‘पंजाब बाहरी लोगों का हस्तक्षेप पसंद नहीं करता।
निश्चित रूप से, हम वहां एकनाथ शिंदे मॉडल को लागू होते देख सकते हैं।’’ पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव में आप ने 117 में से 92 सीट जीतकर शानदार विजय हासिल की थी। मंगलवार की बैठक का नतीजा पंजाब में आप की रणनीति और स्थिरता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।