Pune Bypoll Results 2023: कस्बा, चिंचवाड़ विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरू
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 2, 2023 09:20 AM2023-03-02T09:20:49+5:302023-03-02T09:25:33+5:30
महाराष्ट्र के पुणे स्थित कस्बा और चिंचवाड़ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती गुरुवार सुबह 8 बजे शुरू हो गई है। दोनों विधानसभा क्षेत्रों में हो रहा यह उपचुनाव मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच सीधे नाक का सवाल बना हुआ है।
पुणे: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच पुणे उपचुनाव किसी अग्निपरीक्षा के कम नहीं हैं। पुणे के कस्बा और चिंचवाड़ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती गुरुवार सुबह 8 बजे शुरू हो गई है।
पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में रहीं दोनों सीटों पर 26 फरवरी को उपचुनाव के लिए मतदान हुए थे। जिसके परिणाम के लिए सुबह 8 बजे शुरू हुई। दोनों विधानसभा क्षेत्रों में औसत मतदान प्रतिशत 50 फीसदी रहा था।
इस उपचुनाव में में भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सामने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संयुक्त गठबंधन महाविकास अघाड़ी है। दोनों पक्षों में कड़ा सियासी मुकाबला है।
कस्बा और चिंचवाड़ सीटों पर भाजपा विधायकों मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप ने जीत दर्ज की थी लेकिन दोनों के दिवंगत होने के कारण इस सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं।
कस्बा पेठ निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा की ओर से दावेदारी पेश कर रहे हेमंत रसाने को कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर से कड़ी चुनौती मिल रही है। धंगेकर को महाविकास अघाड़ी की समर्थन प्राप्त है। कस्बापेठ की मतगणना कोरेगांव पार्क में भारतीय खाद्य निगम का गोदाम में हो रही है। इस सीट के लिए मतगणना के 20 राउंड होंगे।
वहीं चिंचवाड़ उपचुनाव की बात करें तो यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के अश्विनी जगताप और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाना काटे के बीच में है। चिंचवाड़ सीट के लिए 37 राउंड तक मतगणना होनी है और यह थेरगांव के शंकरराव गावड़े कामगार भवन में होगी।
पुणे की दोनों विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव इस लिहाज से दिलचस्प माने जा रहे हैं कि इन दोनों सीटों के नतीजों का असर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) सहित राज्य में होने वाले अन्य आगामी चुनावों पर भी पड़ेगा।
यह उपचुनाव इस कारण से भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि एकनाथ शिंदे द्वारा शिवसेना में विभाजन पैदा करके भाजपा के सहयोग से सत्ता में आने के बाद उद्धव ठाकरे से सीधे टक्कर के तौर पर भी देखा जा रहा है।