इंसानों पर हमले के आदी हुए बाघों, तेंदुओं को अभयारण्य के सुधार गृहों में रखने की तैयारी

By भाषा | Updated: June 6, 2021 14:29 IST2021-06-06T14:29:54+5:302021-06-06T14:29:54+5:30

Preparations to keep tigers, leopards accustomed to attack on humans in the correction homes of the sanctuary | इंसानों पर हमले के आदी हुए बाघों, तेंदुओं को अभयारण्य के सुधार गृहों में रखने की तैयारी

इंसानों पर हमले के आदी हुए बाघों, तेंदुओं को अभयारण्य के सुधार गृहों में रखने की तैयारी

बरेली (उत्तर प्रदेश), छह जून पीलीभीत जिले के बाघ अभयारण्य से सटे गांवों में इंसानों पर हमले के आदी हो चुके बाघों और तेंदुओं को सुधार गृह (रिवाइल्डिंग केंद्र) में रखा जायेगा।

इंसानी आबादी वाले इलाकों में पकड़े जाने वाले बाघों और तेंदुओं को अभी तक चिड़ियाघर भेजा जाता था, मगर अब उन्हें पकड़कर सुधार गृह में रखा जाएगा।

बरेली के मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने रविवार को 'भाषा' को बताया कि अक्सर बाघ और तेंदुए अपने कुदरती ठिकानों से बाहर निकल कर जंगल के किनारे बसे गांवों में आबादी के बीच पहुंच जाते हैं और वहां मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन जाती है, जिसमें कई बार लोगों की जान चली जाती है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 से 2020 तक बाघों और तेंदुओं के हमलों में कुल 31 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 16 लोगों की मौत तो वर्ष 2017 में ही हुई थी।

वर्मा ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि इन जंगली जानवरों को मानव का खून स्वादिष्ट लगता है और एक बार इंसानी खून इनके मुंह लग जाए तो वे आदमखोर हो जाते हैं और बार-बार उन पर हमला करते हैं। शुरू में इस तरह के जानवरों को पकड़े जाने के बाद उन्हें सुधार के लिए चिड़ियाघर भेजा जाता था, लेकिन अब उन्हें पीलीभीत बाघ अभयारण्य के अंदर ही बनने वाले सुधार गृहों में भेजा जाएगा।

मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि यह सुधार गृह जंगल के अंदर एक किस्म का विशाल बाड़ा होगा, जिसमें चीतल, नीलगाय और जंगली सूअर आदि भी रहेंगे। इसमें लाए जाने वाले बाघ एवं तेंदुए इन्हीं शाकाहारी जीवों का शिकार करेंगे और धीरे-धीरे मानव रक्त का स्वाद भूल जायेंगे। जो बाघ या तेंदुआ बार-बार जंगल से निकलकर आबादी की ओर रुख करेगा, उसे बेहोश करके सुधार गृह पहुंचा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से 2020 तक कुल आठ बाघों और तेंदुओं को पकड़कर विभिन्न चिड़ियाघरों में भेजा गया है। इनमें से तीन को लखनऊ चिड़ियाघर, तीन को कानपुर चिड़ियाघर तथा एक को कतरनियाघाट और एक को दुधवा भेजा गया है।

वर्मा ने बताया कि बाघ अभयारण्य में सुधार गृह बनाने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए प्रशासन को भेजा गया है। बाकी सभी औपचारिकताएं पूरी हो गयी हैं। इसके लिए जमीन भी तय हो चुकी है और बहुत जल्द शासन से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

पीलीभीत बाघ अभायरण्य के उपनिदेशक नवीन खंडेलवाल ने बताया कि जंगली जानवर आमतौर पर इंसानों और उनकी आबादी से दूरी बनाए रखते हैं मगर स्थितियां बदलने के कारण अब इंसानों और वन्यजीवों में टकराव की घटनाएं अक्सर देखने को मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले की स्थिति को ही बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि सुधार गृह इंसानी आबादी के नजदीक रहने वाले बाघ और तेंदुए के कुदरती व्यवहार को बहाल करने की एक परिकल्पना है। मध्य प्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में ऐसा ही एक केंद्र मौजूद है।

यह पूछे जाने पर कि सुधार गृह का निर्माण कार्य पूरा कब तक पूरा हो जाएगा, खंडेलवाल ने कहा कि यह काम इसी वित्तीय वर्ष में मुकम्मल किए जाने की योजना है।

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Web Title: Preparations to keep tigers, leopards accustomed to attack on humans in the correction homes of the sanctuary

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