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Independence Day: प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी की वो कहानी जिसके बारे में 'कथा सम्राट' को भी बाद में पता चला

By मेघना सचदेवा | Updated: August 5, 2022 15:52 IST

आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाली कई महिलाओं का जिक्र इतिहास के पन्नों में नहीं है। ऐसा ही एक नाम शिवरानी देवी है। प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी 2 महीने जेल में भी रही।

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ठळक मुद्देशिवरानी देवी को आजादी के लिए लड़ने की प्रेरणा स्वरूप रानी नेहरू के भाषणों और उनकी गिरफ्तारी से मिली थी। प्रेमचंद पर लिखी कुछ किताबों में शिवरानी की गिरफ्तारी का जिक्र है। शिवरानी देवी ने प्रेमचंद के ऊपर भी किताब लिखी है। 

आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। 75 साल पहले खत्म हुई आजादी की जंग कई सालों तक चली थी। इसमें महिलाओं ने भी अहम भूमिका अदा की थी लेकिन एक नाम ऐसा था जिसे शायद इतिहास के पन्नों में कोई खास जगह नहीं मिल पाई लेकिन उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के सामने हार न मानी। शिवरानी देवी को कप्तान भी कहा जाता है, उन्होंने आजादी की लड़ाई में कई महिलाओं का नेतृत्व किया था। शिवरानी देवी कौन थी, उन्होंने देश को आजादी दिलाने में कैसे योगदान दिया,आइए जानते हैं। 

 प्रेमचंद की पत्नी थी शिवरानी देवी 

आजादी की लड़ाई में देश के लाखों लोगों ने बिना जान की परवाह किए अंग्रेजी हुकूमत का सामना किया। इसमें महिलाऐं भी शामिल थी। हर महिला को स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों में जगह नहीं मिल पाई लेकिन उन्होंने जिस साहस और धैर्य के साथ अग्रेजों को मुंह तोड़ जवाब दिया वो जानना बहुत जरूरी है।

शिवरानी देवी इन्ही महिलाओं में से एक थी। उन्होंने न सिर्फ आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया बल्कि एक कप्तान की तरह कई महिलाओं का नेतृत्व भी किया। उन्हें लखनऊ में अंग्रेजी सामान बेचने वाली दुकानों के बाहर धरना देने पर गिरफ्तार भी किया गया। शिवरानी देवी कथा सम्राट कहे जाने वाले प्रेमचंद की पत्नी थी। शिवरानी देवी ने अपने कई लेखों के जरीए भी स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका अदा की है। 

शिवरानी देवी को 2 महीने तक जेल में रखा गया

बताया जाता है कि प्रेमचंद लगभग साढ़े 6 साल तक लखनऊ में रहे। 1924 से 1930 तक वो अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ लखनऊ में थे। पति-पत्नी देश की आजादी के लिए लड़ना चाहते थे। उन्हें जेल जाने का भी डर नहीं था। शिवरानी देवी को 2 महीने तक जेल में रखा भी गया। उन्हें 11 नवंबर 1930 में अमीनाबाद में कई दुकानों के बाहर धरना प्रदर्शन करने पर गिरफ्तार कर लिया गया। वो हमेशा ही लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना चाहती थी। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने मशहूर आलोचक वीरेंद्र यादव के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शिवरानी देवी को आजादी के लिए लड़ने की प्रेरणा स्वरूप रानी नेहरू के भाषणों और उनकी गिरफ्तारी से मिली थी। स्वरूप रानी नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू की मां थी। प्रेमचंद की पत्नी इतनी सक्रिय थी कि जब कांग्रेस कार्यकर्ता मोहन लाल सक्सेना उन महिलाओं की लिस्ट तैयार कर रहे थे जो आजादी की लड़ाई में लड़ें तो शिवरानी देवी का नाम सबसे उपर था। उन्हें उन महिलाओं के कप्तान के तौर पर चुना गया। 

प्रेमचंद को नहीं थी शिवरानी के कप्तान बनने की खबर

सबसे ज्यादा रोचक बात ये है कि उस वक्त प्रेमचंद को ही नहीं पता था कि उनकी पत्नी ये सब कर रही है। उन्हें इस बात की जानकारी तभी हुई जब उनके पास कांग्रेस की वो लिस्ट पंहुची जिनमें महिलाओं के नाम थे।  प्रेमचंद को उस लिस्ट को उर्दू में तब्दील करना था। 

मनोहर बंदोपाध्याय की किताब 'लाइफ एंड वर्क्स ऑफ प्रेमचंद', में शिवरानी की गिरफ्तारी और उन्हें गिरफ्तार कर रहे पुलिसकर्मियों की भावनाओं का विवरण है। इस किताब का प्रकाशन सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग की ओर से किया गया है। शिवरानी देवी की किताब 'प्रेमचंद घर में' से इस प्रकरण को लिया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे झंडेवाला पार्क में शिवरानी की गिरफ्तारी के दौरान एक पुलिसकर्मी इन निस्वार्थ महिला स्वयंसेवकों को गिरप्तारी देते हुए देखकर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा सका था। वह इसे देख भावुक हो गया था कैसे अपने देश के लिए महिलाएं खुशी-खुशी जेल जाने को तैयार हैं। किताब में पुलिसकर्मी के साथ शिवरानी देवी की बातचीत के अंश हैं।

किताब के अनुसार पुलिसकर्मी शिवरानी देवी से कहता है, 'माताजी, हमें यहां 23 रुपये मिलते हैं, लेकिन अगर कोई हमें 10 रुपये भी दे देता है, तो हम खुशी-खुशी इस पापी काम को छोड़ देंगे।' इस पर शिवरानी देवी पुलिस वाले को सांत्वना देते हुए कहती हैं कि वह आखिरकार अपना आधिकारिक कर्तव्य निभा रहा है। इस पर पुलिसकर्मी ने जवाब दिया, 'आप इतनी उदार हैं इसलिए जेल जा रही हैं। यह दुख की बात है कि हम अपनी मां-बहनों की पूजा करने के बजाय उन्हें जेल ले जा रहे हैं।' 

जेल से बाहर आने के बाद भी शिवरानी ने इस लड़ाई में अपना योगदान जारी रखा। उनकी तबीयत बिगड़ रही थी लेकिन उन्होंने अब जेल में बंद लोगों के लिए लड़ाई शुरू की। उन्हें सही से खाना मिले और सर्दियों में गर्म कपड़े मिले इसके लिए शिवरानी ने धरना प्रदर्शन भी किया। आखिरकार अधिकारियों को शिवरानी की मांग माननी पड़ी। 

प्रेमचंद को अपनी पत्नी पर गर्व था

लखनऊ विश्विद्यालय के कुछ लोगों के मुताबिक जब शिवरानी की  गिरफ्तारी हुई थो तो प्रेमचंद वाराणसी में थे। जब वो वापस आए तो जेल में अपनी पत्नी से मिलने भी पंहुचे। प्रेमचंद का मानना था कि उनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है। जिसका उन्हें बेसब्री से इंतेजार भी था। उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व था। प्रेमचंद को शिवरानी के पहले लेख के बारे में भी उसके छपने के बाद ही पता लगा था। जो 1931 में छपा था। शिवरानी देवी ने प्रेमचदं के ऊपर भी किताब लिखी है। 

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