बिहार: ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद प्रसिद्ध रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं उन लोगों के लिए हैरान हूं जिन्हें कांग्रेस से जुड़े गांधी परिवार के सरनेम पर आपत्ति होती थी। वही लोग आज सिंधिया के पार्टी छोड़ने को बड़ा झटका बता रहे हैं। किशोर इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि लेकिन, सच्चाई यह है कि सिंधिया जननेता और प्रशासक के तौर पर बहुत बड़े नहीं हैं। प्रशांत किशोर ने यह बात ट्वीट कर कही है।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक बिसाहूलाल साहू शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए हैं। मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने भी मंगलवार (10 मार्च) को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस्तीफा दे दिया है।
बिसाहूलाल साहू ने कहा है, मैं मध्य प्रदेश का सबसे वरिष्ठ विधायक हूं, 1980 से मैं विधायक हूं। लगातार मेरी उपेक्षा की गई। जिस हिसाब से कमलनाथ सरकार चल रही है आने वाले समय में अधिकांश विधायक कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होंगे।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का कांग्रेसियों पर बड़ा हमला
वहीं, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब सिंधिया जी कांग्रेस में थे तो कुछ कांग्रेसी नेताओं के लिए वह महाराजा थे, अब वे माफिया हैं? यही उनके दोहरे मापदंड हैं।
वहीं, सिंधिया के पाले में आते ही बीजेपी ने सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। आज बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के साथ बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक भी बुलाई गई है। इस बैठक में मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाने को हरी झंडी दी जाएगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी चिट्ठी में लिखी ये बात-
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी चिट्ठी में सोनिया को सबकुछ जानते हुए कुछ नहीं करने आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, 'मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं और जैसा कि आपको अच्छी तरह पता है कि पिछले एक साल से यह मार्ग प्रशस्त किया गया है।' आज भी मैं अपने राज्य और देश के लोगों की रक्षा करने के अपने लक्ष्य और उद्देश्य पर अडिग हूं।
मंगलावर को 10 विधायक गायब
मालूम हो कि मंगलवार को मध्यप्रदेश के 10 विधायक गायब हो गये थे, जिनमें दो बसपा, एक सपा, एक निर्दलीय एवं बाकी कांग्रेस के विधायक थे। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता इन विधायकों को हरियाणा के एक होटल में ले गये हैं और कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए उन्हें करोड़ों रुपये देने का प्रलोभन दे रहे हैं। हालांकि, भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया और दावा किया कि 26 मार्च को मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के मद्देनजर यह कांग्रेस के विभिन्न गुटों के बीच चल रही अंदरुनी लड़ाई का नतीजा है।
मध्य प्रदेश की समझें राजनीति गणित
इसके बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस इन 10 विधायकों में से आठ विधायकों को वापस लाने में अब तक सफल हो चुकी है। हालांकि, लापता हुए 10 विधायकों में से अब केवल कांग्रेस के दो विधायक हरदीप सिंह डंग एवं रघुराज कंसाना ही बचे हैं, जो अब तक गायब हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है।