प्रशांत किशोर ने एक ही हमले में राजद, जदयू, कांग्रेस और भाजपा को दी पटखनी, बोले- "1990 में भी पिछड़ा था बिहार और आज भी पिछड़ा ही है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 2, 2022 20:30 IST2022-10-02T20:28:19+5:302022-10-02T20:30:57+5:30
प्रशांत किशोर ने चंपारण से 3,500 किलोमीटर लंबी 'जन सुराज यात्रा' की शुरू करते हुए कहा कि 90 के दशक से आज तक बिहार केवल पिछड़ेपन में पहले पायदान पर रहता है। इस देश को अमूल्य विरासत देने वाला बिहार की यह दशा सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर की है।

फाइल फोटो
चंपारण: गांधी जयंती के मौके पर चंपारण से 'जन सुराज' अभियान की शुरूआत करने वाले प्रशांत किशोर ने बिहार की बदहाली के लिए एक साथ राजद, जदयू भाजपा और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए खूब खरीखोटी सुनाई। प्रशांत किशोर ने बिहार की 3,500 किलोमीटर की 'जन सुराज यात्रा' शुरू करते हुए कहा कि 90 के दशक से आज तक बिहार केवल पिछड़ेपन में पहले पायदान पर रहता है। इस देश को अमूल्य विरासत देने वाला बिहार की यह दशा सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर की है।
उन्होंने कहा, "हम 30-40 वर्षों से सुनते आ रहे हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा लेकिन बिहार में कुछ भी नहीं बदला है। 1990 में बिहार सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा था और 2022 में भी इसकी वही दशा है। इसलिए यहां के लोगों का दूसरे राज्यों में पलायन होना लाजमी है।"
Bihar | We have been listening for 30-40 yrs that education & health services would be improved but nothing has changed in the state. In 1990 Bihar was poorest & most backward & in 2022 it still remains same. People here are bound to migrate to other states: Prashant Kishor pic.twitter.com/hsFjj0MWAs
— ANI (@ANI) October 2, 2022
चुनावी रणनीतिकार ने बिहार में सत्ता संभाल चुकी सभी राजनीतिक दलों को इस पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि बिहार के लोगों को अपने सुराज को खुद बनाना होगा क्योंकि इन दलों से बिहार की जनता को न तो रोजगार मिलने वाला है और न रोटी-पानी।
किशोर ने कहा कि सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी धुरी पर बिहार के लोगों को नचाने का काम कर रहे हैं। यहां न तो रोजगार न ही शिक्षा है। बिहार का लड़का दूसरे राज्य में नौकरी कर रहा है, नौकरी के कंपटिशन में टॉप कर रहा है लेकिन उसके लिए उसे बिहार को छोड़ना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि यह बुद्ध और जेपी की धरती है। यहां क्रांति और मानवता एक साथ रहती है लेकिन इन राजनीतिक दलों ने बीते 3-4 दशकों में बिहार की जनता को इतना मजबूर कर दिया है कि उसे अपनी धरती छोड़कर कहीं और जाकर मेहनत-मजदूरी करनी पड़ रही है। देश में कहीं भी चले जाइये, श्रमिक वर्ग में सबसे बारी तादात बिहार के लोगों की है। आखिर ऐसा क्यों है, क्या बिहार के लोग सक्षम नहीं है या फिर उनपर शासन करने वाले नेता सक्षम नहीं है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता को यह बात सोचने की जरूरत है और खुद के लिए संघर्ष करके अपना सुराज बनाना होगा। इन राजनीतिक दलों के पीछे मत भागिये, ये आपको जाति और धर्म के नाम पर लड़ाएंगे और ऐसे ही सत्ता पर कब्जा करके आनंद लेते रहेंगे।