चीफ जस्टिस के पास जरा भी आत्म-सम्मान है तो इस्तीफा दे दें: प्रशांत भूषण

By IANS | Updated: January 13, 2018 10:58 IST2018-01-13T08:12:53+5:302018-01-13T10:58:56+5:30

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे।

Prashant Bhushan Said If CJI Dipak Misra Has self respect then he should resign | चीफ जस्टिस के पास जरा भी आत्म-सम्मान है तो इस्तीफा दे दें: प्रशांत भूषण

चीफ जस्टिस के पास जरा भी आत्म-सम्मान है तो इस्तीफा दे दें: प्रशांत भूषण

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार (12 जनवरी) को सर्वोच्च न्यायालय के चारों शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने की सराहना की और कहा कि इनलोगों ने पत्र के जरिए लोगों को सत्ता के घोर दुरुपयोग के प्रति आगाह किया है। उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को चुन कर बांटते हैं।

भूषण ने ट्वीट किया, "सही मायने में अभूतपूर्व! सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों ने आज एक संवाददाता सम्मेलन किया, जिसमें राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को अपेक्षित परिणाम के लिए चुनिंदा कनिष्ठ न्यायाधीशों को दिया जाता है, जो कि सत्ता का घोर दुरुपयोग है।"

भारत के न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना के तहत न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने न्यायिक संस्थान को बचाने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि "लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए निष्पक्ष न्याय प्रणाली की जरूरत है।"

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक टीवी चैनल से कहा, "मैंने अपने पूरे कॅरियर में प्रधान न्यायाधीश के द्वारा मामले आवंटित करने में पद का ऐसा दुरुपयोग नहीं देखा। अगर उनके पास जरा-सा भी आत्मसम्मान बचा है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों ने स्पष्ट तौर पर प्रधान न्यायाधीश में अविश्वास जाहिर किया है।"

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बृजगोपाल लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले पर वरिष्ठ वकील ने कहा, "मामले की महत्ता को देखते हुए इसे शीर्ष न्यायाधीशों को देखना चाहिए, लेकिन इस मामले को अदालत संख्या 10 में भेजा गया, जो न्यायामूर्ति अरुण मिश्रा की अदालत है। अधिकांश मामले न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ को भेजे गए हैं।"

स्थिति को चिताजनक बताते हुए शीर्ष न्यायालय की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा लोया का मामला वह उकसाने वाला बिंदु हो सकता है, जिसकी वजह से चार न्यायाधीशों को सार्वजनिक तौर पर अपनी बात रखनी पड़ी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, "संभवत: लोया का मामला ही उकसाने वाला बिंदु है, लेकिन यह सिर्फ इस तरह के मुद्दों की ओर इशारा भर है।" उन्होंने कहा, "इस बात को याद रखें कि (भारतीय) न्याय प्रणाली एक मात्र ऐसा संस्थान है, जो कार्यपालिका और विधायिका के अत्याचार से हमें बचा सकता है। हम सभी चाहते हैं कि न्यायपालिका जिंदा रहे।"

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल ने एक टीवी चैनल से कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश रॉस्टर के सर्वेसर्वा हैं, लेकिन एक प्रणाली और दिशानिर्देश है, जिसे संवैधानिक आधार पर माना जाना जरूरी है। ऐतिहासिक रूप से, सबसे महत्वपूर्ण मामलों को शीर्ष स्तर के न्यायाधीशों को दिया जाता है। इसमें चूक हुई है और मुझे लगता है कि यही कारण है, जिसकी वजह से ये लोग मजबूर हुए।"
 

Web Title: Prashant Bhushan Said If CJI Dipak Misra Has self respect then he should resign

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