निजी लैब में पॉजिटिव, सरकारी लैब में निगेटिव! ICMR से बीजेपी शासित राज्यों ने की शिकायत

By हरीश गुप्ता | Published: June 9, 2020 09:20 AM2020-06-09T09:20:04+5:302020-06-09T09:23:41+5:30

भाजपाशासित राज्यों ने आईसीएमआर से शिकायत की है कि निजी लैब में कोरोना पॉजिटिव निकला व्यक्ति सरकारी लैब में पहुंचते निगेटिव निकल रहा है.

Positive in private lab, negative in government lab! BJP-ruled states complain to ICMR | निजी लैब में पॉजिटिव, सरकारी लैब में निगेटिव! ICMR से बीजेपी शासित राज्यों ने की शिकायत

भारत में कोरोना वायरस की टेस्ट दर काफी कम है (लोकमत फाइल फोटो)

HighlightsICMR ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा है कि निजी लैब्स की समीक्षा की जाएगीमहाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु की अपेक्षा भाजपाशासित राज्य कम कोरोना टेस्ट कर रहे हैंबिहार और उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के काफी कम परीक्षण हो रहे हैं

सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन कुछ भाजपाशासित राज्यों ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से शिकायत की है कि कोविड-19 परीक्षण कर रहीं निजी लैब्स तय मापदंडों का उल्लंघन कर रही हैं. कोविड-19 परीक्षणों की जिम्मेदारी वाली शीर्ष संस्था और 771 लैब्स का संचालन करने वाली आईसीएमआर ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. आम शिकायत है कि निजी लैब्स में पॉजिटिव व्यक्ति सरकारी लैब में पहुंचते ही निगेटिव निकलता है.

आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई राज्यों की आपत्ति के बाद अब निजी लैब्स की समीक्षा की जाएगी. माना जा रहा है कि बिहार, उत्तरप्रदेश और हरियाणा ने मापदंडों के उल्लंघन के अलावा निजी लैब्स पर जानकारी छिपाए जाने के भी आरोप लगाए हैं. इस अधिकारी ने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि अगर कोई राज्य लाइसेंस स्वीकृति की प्रक्रिया की समीक्षा की मांग करता है तो दोषी लैब्स के वायरस के टेस्टिंग लाइसेंस छीने जा सकते हैं. कारण कुछ और ही!

एक अंदरुनी सूत्र के मुताबिक शिकायत के कारण कुछ और ही हैं. दरअसल महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली की तुलना में भाजपाशासित राज्य बहुत कम परीक्षण कर पा रहे हैं. 8 जून तक महाराष्ट्र की 89 लैब्स में 5.38 लाख और तमिलनाडु की 77 लैब्स में 5.76 लाख परीक्षण किए जा चुके हैं. देश के दूसरे सबसे आबादी वाले राज्य बिहार में केवल 27 लैब्स हैं, जबकि निजी लैब्स की संख्या तो केवल दो (पटना और सासाराम) है.

8 जून की सुबह तक बिहार में केवल 95,000 परीक्षण (787 परीक्षण प्रति दस लाख) किए जा सके थे. राष्ट्रीय औसत प्रति दस लाख में 3381 परीक्षण का है.

बिहार की चिंता की वजह

बिहार चिंतित है क्योंकि कम परीक्षणों के बावजूद पीड़ितों के पॉजिटिव होने की दर 5 प्रतिशत है. अगर परीक्षणों की संख्या बढ़ी तो पॉजिटिव मरीजों का विस्फोट सा आ जाएगा. बिहार अब तक इस दलील के साथ अपना बचाव करता आया है कि सरकारी लैब में इन लोगों का परिणाम निगेटिव आ रहा है.

यूपी का भी वही हाल

उत्तरप्रदेश में कुल 65 लैब्स (57 सरकारी और 8 निजी) हैं. लेकिन प्रतिदिन परीक्षण का औसत है 1558 प्रति दस लाख. यह राष्ट्रीय औसत के आधे से भी कम है और महाराष्ट्र से तकरीबन तीन गुना कम. फिर भी यहां से शिकायतों की बाढ़ आ रही है. आम शिकायत यही कि निजी लैब्स में पॉजिटिव पाए जा रहे लोग सरकारी लैब्स में निगेटिव आ रहे हैं. पिछले सप्ताह के बाद लगातार मामलों में बढ़ोत्तरी का सामना कर रहे हरियाणा की भी यही स्थिति है. राज्य में केवल 20 लैब्स हैं. इनमें से 8 लैब्स निजी हैं जो सभी गुरुग्राम में हैं. हरियाणा में कुछ निजी लैब्स को राज्य सरकार ने प्रामाणिक डेटा शेयर नहीं करने पर समन किया है.

Web Title: Positive in private lab, negative in government lab! BJP-ruled states complain to ICMR

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