चार साल बाद भी पोषण ट्रैकर के आंकड़े सार्वजनिक नहीं, 1000 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी सरकार
By विशाल कुमार | Published: December 4, 2021 12:15 PM2021-12-04T12:15:18+5:302021-12-04T12:18:39+5:30
पोषण ट्रैकर 12.3 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों से मंत्रालय को दैनिक डेटा देता है, जिसमें छह महीने से छह साल की उम्र के बच्चों सहित 9.8 लाख लाभार्थियों के साथ-साथ गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मां भी शामिल हैं।
नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय प्रत्येक आंगनवाड़ी में कुपोषित और 'गंभीर तीव्र कुपोषित' बच्चों का रीयल-टाइम डेटा रिकॉर्ड करने वाले पोषण ट्रैकर पर चार सालों में 31 मार्च, 2021 तक 1053 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन सरकार ने अभी तक इसका डेटा सार्वजनिक नहीं किया है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें से 600 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन, 203.96 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन रिचार्ज एवं मरम्मत, 180.68 करोड़ रुपये आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन पर और 68 करोड़ रुपये प्रशिक्षण पर खर्च किए गए।
इसके बावजूद राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रेवती रमण सिंह के देश में कुपोषित बच्चों की संख्या के सवाल पर महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल ही में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों पर भरोसा किया, जो स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम वजन वाले बच्चों में सुधार दर्शाता है।
एनएफएचएस दो चरणों में 6.3 लाख घरों में किया गया एक नमूना सर्वेक्षण है जो जून 2019 से जनवरी 2020 तक और जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक किया गया।
वहीं, पोषण ट्रैकर 12.3 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों से मंत्रालय को दैनिक डेटा देता है, जिसमें छह महीने से छह साल की उम्र के बच्चों सहित 9.8 लाख लाभार्थियों के साथ-साथ गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मां भी शामिल हैं।
नवंबर 2017 में तीन सालों में 9000 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने पोषण अभियान के आंकड़ों की रियल टाइम निगरानी के लिए पोषण ट्रैकर को मंजूरी दी थी।