2020 में 3000 तो 2025 में 5000 लोग लड़ेंगे बिहार विधानसभा चुनाव?, चुनाव आयोग को अनुमान, तैयारी में जुटा
By एस पी सिन्हा | Updated: September 16, 2025 15:39 IST2025-09-16T15:38:21+5:302025-09-16T15:39:13+5:30
बड़े दल तो गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं और 243 सीटों पर लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, लेकिन छोटे दलों ने 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के दावे किए हैं।

सांकेतिक फोटो
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। दरअसल, चुनाव आयोग को अनुमान है कि वर्ष 2020 के मुकाबले इस बार प्रत्याशियों की संख्या दोगुनी हो सकती है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या 3000 के आसपास थी तो इस बार दलों को अगर प्रत्याशी मिले तो संख्या 5000 के पार जा सकती है। आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो 2005 के विधानसभा चुनाव में कुल 2135 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। वहीं, 2010 के विधानसभा चुनाव में 3500 से अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़े। जबकि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार में कुल 3450 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे जो कि 2020 में बढ़कर 3750 तक पहुंच गई। ऐसे में वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव में अगर दलों को प्रत्याशी मिले तो आंकड़ा 5000 के पार जा सकता है।
दरअसल, छोटे दलों की मौजूदगी ने बड़े दलों की परेशानी बढ़ा रखी है। बड़े दल तो गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं और 243 सीटों पर लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, लेकिन छोटे दलों ने 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के दावे किए हैं। ऐसे में छोटे दलों के द्वारा प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया भी जारी है। प्रत्याशियों की सबसे अधिक भीड़ प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में है।
प्रशांत किशोर की पार्टी ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का ऐलान किया है। पिछले कई महीनों से पीके बिहार में संघर्ष कर रहे हैं। पदयात्रा के जरिए जनता की नब्ज टटोलने में लगे हैं। ऐसे में जन सुराज पार्टी में टिकट पाने वालों की लंबी कतार है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक औसतन एक सीट पर 6 से अधिक दावेदार हैं और उनमें से किसी एक के चयन की प्रक्रिया चल रही है।
प्रशांत किशोर ने कहा है कि हमारी पार्टी जनसुराज सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने की तैयारी कर रही है। हम उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में लगे हैं और शॉर्ट लिस्ट की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे दल में चुनाव लड़ने वालों की कमी नहीं है। उधर, बसपा भी बिहार में सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का फैसला लिया है।
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बसपा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के साथ चुनाव लड़ी थी। उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और बसपा ने कुल 80 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। 2020 में बसपा को एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल हुई थी। जमा खान बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। हालांकि वह बाद में जदयू में शामिल हो गए और फिलहाल वह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं।
वहीं, इस बार नए खिलाड़ी के रूप में अरविंद केजरीवाल भी दो-दो हाथ के लिए तैयार हैं। पहली बार अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। आप ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का दावा किया है। पहली बार अरविंद केजरीवाल की पार्टी बिहार में चुनाव लड़ने जा रही है।
संगठन के स्तर पर पार्टी की ओर से लंबे चौड़े दावे भी किया जा रहे हैं। पुष्पम प्रिया चौधरी के नेतृत्व वाली द प्लूरल्स पार्टी दूसरी बार चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पुष्पम प्रिया चौधरी की ओर से भी दावा किया गया है कि उनकी पार्टी बिहार के सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेगी।
वहीं, आईपीएस की नौकरी छोड सियासत में कदम रखने वाले शिवदीप वामनराव लांडे ने भी अपनी पार्टी द हिंद के बैनर तले राज्य के सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है। वह भी गांव-गांव,गली-गली जाकर मतदाताओं से मिल रहे हैं। इस बीच शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी बिहार विधानसभा के सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर सबको चौंका दिया।
उधर, असदुद्दीनी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनावी ताल ठोकने को तैयार बैठी है। इसके अलावे भी कई और छोटे-छोटे दल अपने-अपने उम्मीदवार उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना सकते हैं। इसके अलावा निर्दलीय भी मैदान में होंगे। यही कारण है कि चुनाव आयोग को अनुमान है कि इस बार उम्मीदवारों की संख्या 5000 के पार जा सकती है।