राजस्थान के कोटा से उत्तर प्रदेश के मेडिकल-इंजीनियरिंग छात्रों की वापसी के बाद बिहार सरकार पर भी ऐसा कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है. बिहार में राजद नेता तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर ने सरकार से राज्य के छात्रों को वापस बुलाने को लेकर सियासत तेज कर दी है. वहीं, राज्य सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन का हवाला देकर वापसी का कदम उठाने से इनकार कर ऐसी मांग करने वालों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है.
यहां उल्लेखनीय है कि राजस्थान के कोटा में मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्रों के फंसे होने को लेकर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं. ताजा मामले में उन्होंने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए एक चिठ्ठी की कॉपी जारी करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग किया है. इसमें उन्होंने सवाल उठाया है कि जब सरकार ने बिहार के बच्चों को कोटा से लाने से मना कर दिया है तो विधायक के बेटे को कोटा से लाने की विशेष अनुमति क्यों दी गई है?
ट्वीट में पीके ने लिखा है कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों की मदद की अपील को नीतीश कुमार ने यह कहकर खारिज कर दिया था ऐसा करना लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ होगा. लेकिन अब उन्हीं की सरकार ने भाजपा के एक विधायक को कोटा से अपने बेटे को लाने की विशेष अनुमति दी है. नीतीश जी अब आपकी मार्यादा क्या कहती है?
वहीं, बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने आज कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को वापस बुलाना चाहिए. सरकार उन्हें सीधे घर ना भेजकर राज्य में ही पहले क्वॉरेंटाइन करे. वो हमारे अपने लोग हैं, उन्हें यूं बदहाल नहीं छोड़ा जाना चाहिए. गोहिल ने यह बात वीडियो कांफ्रेंस के दौरान पार्टी जिला अध्यक्षों के साथ बातचीत में कही. इससे पहले बिहार विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी नीतीश सरकार पर बच्चों को वापस बुलाने को लेकर निशाना साध चुके हैं. प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया कि बिहार सरकार प्रदेश के बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों के प्रति असंवेदनशील है.
पिछले कई दिनों से देश के अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे राज्य के मजदूर एवं छात्र अपने घर वापस आने की गुहार लगा रहे हैं. गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें बाहर फंसे अपने लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम कर रही है, वहीं बिहार सरकार ने राज्यवासियों को बीच मंझधार में बेसहारा छोड दिया है.
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्थान के कोटा मामले में कहा कि कुछ लोग नहीं माने और अपने यहां भी वहां से आ गए. उन सभी को बॉर्डर पर नहीं रखा गया, बल्कि वहां उनका टेस्ट कर उनके घर भिजवाने की व्यवस्था की गई. अब कोई कहे कि कोटा में जो लोग हैं उनको फिर बुलवा लिया जाए, यह उचित नहीं है. देश के कोने-कोने में भी जो लोग फंसे हुए हैं अगर उनकी मांग पर सभी राज्य उन्हें मंगाने लगे तो लॉकडाउन का मजाक उड़ जाएगा. हम लोगों का तो कमिटमेंट पूरे तौर पर है. सोशल डिस्टेंसिंग ही हम सबको बचा सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद शुक्रवार को कहा था कि ऐसा कदम लॉकडाउन के उद्देश्य को ही हरा देगा और यह दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के मजदूरों के साथ अन्याय होगा. सरकार ने कोटा प्रशासन द्वारा कोचिंग सेंटर के छात्रों और उनके अभिभावकों को उनके गृह राज्य वापस जाने के लिए पास जारी करने का विरोध भी जताया था.
यहां उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने यूपी सरकार द्वारा बसें भेजकर कोटा से छात्रों को वापस लाने से इनकार करते हुए दूसरे राज्यों को ऐसा ही कदम उठाने की सीख देने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए इसे देशव्यापी लॉकडाउन का मजाक करार दिया.