चुनावी भट्टी पर सियासी रोटियां सेंकने की मुहिम, अहमदाबाद की दोनों सीटों पर प्रतिष्ठा की लड़ाई

By महेश खरे | Published: April 18, 2019 06:02 AM2019-04-18T06:02:29+5:302019-04-18T06:02:29+5:30

गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद की दोनों सीटों पूर्व और पश्चिम पर भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत के लिए प्रतिष्ठापूर्ण संघर्ष चल रहा है

Political Roti Baking Campaign Battle of prestige in both seats of Ahmedabad | चुनावी भट्टी पर सियासी रोटियां सेंकने की मुहिम, अहमदाबाद की दोनों सीटों पर प्रतिष्ठा की लड़ाई

चुनावी भट्टी पर सियासी रोटियां सेंकने की मुहिम, अहमदाबाद की दोनों सीटों पर प्रतिष्ठा की लड़ाई

गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद की दोनों सीटों पूर्व और पश्चिम पर भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत के लिए प्रतिष्ठापूर्ण संघर्ष चल रहा है. एक ओर जमालपुर की संकरी गलियों में बसी मुस्लिम आबादी में जहां वर्षों से महिलाएं रोटियां बनाकर परिवार का पेट पाल रही हैं, वहीं नेता और प्रत्याशी चुनावी भट्टी पर सियासी रोटियां सेंकने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली पसंद का विधानसभा क्षेत्र मणिनगर अहमदाबाद पश्चिम में ही आता है. 

अहमदाबाद पश्चिम के लोग बताते हैं मणिनगर में मोदी का नाम विकास का पर्याय बन गया है. वैसे भाजपा प्रत्याशी भी मोदी के काम और नाम पर ही वोट मांग रहे हैं. अभिनेता से राजनेता बने परेश रावल की सीट रही अहमदाबाद पूर्व में पाटीदार आंदोलन की उपज और हार्दिक पटेल की करीबी गीताबेन पटेल के मैदान में आ जाने से संघर्ष रोचक हो गया है. यहां पाटीदारों का प्रभुत्व है.

हार्दिक इन्हें कांग्रेस प्रत्याशी गीताबेन के पक्ष में लाने का प्रयास करेंगे. भाजपा ने यहां से विधायक हंसमुख पटेल को उतारा है. वे पटेल वोटों को भाजपा के पक्ष में डायवर्ट करने की कोशिश में जुटे हैं. शहरी विस्तार वाली अहमदाबाद पश्चिम सीट पर भाजपा के डॉ. किरीटभाई सोलंकी तीसरी बार मैदान में हैं. 2009 का चुनाव उन्होंने 3.20 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीता था, तब कांग्रेस के ईश्वरभाई मकवाना हारे थे. 

2014 में किरीटभाई के हाथों शैलेश परमार ने शिकस्त खाई थी. शैलेश भाई दाणी लीमडा के विधायक हैं. इस बार तीन बार राज्यसभा सांसद रहे राजूभाई परमार पश्चिम से कांग्रेस प्रत्याशी हैं. देखना यही है कि वे डॉ. किरीट सोलंकी को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक पाते हैं या नहीं.

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दाणी लीमडा और जमालपुर सीटें मिली थी. शेष 5 सीटें एलिस ब्रिज, दरियापुर, मणिनगर, अमराईवाड़ी और असावा भाजपा के खाते में गई थीं. कांग्रेस यहां दलितों, अल्पसंख्यकों और पाटीदारों के भरोसे है. अहमदाबाद पश्चिम संसदीय क्षेत्र में 3.10 लाख दलित, 3 लाख अल्पसंख्यक एवं 2.50 लाख पाटीदार वोटर हैं. सवा लाख से अधिक बनिया वोटरों पर भी कांग्रेस की नजर है.

बूथ प्रबंधन पर जोर

दोनों प्रमुख सियासी दल इस बार अपने-अपने समर्थकों को बूथ तक पहुंचाने की व्यवस्था पर जोर दे रहे हैं. दोनों सीटों पर इसी अभियान की तैयारी चल रही है. पिछले चुनाव में भाजपा को जीत से नवाजने वाली विधानसभा सीटों पर ही ज्यादा वोट मिले थे. इसलिए भाजपा नेता अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में पुख्ता बूथ प्रबंधन की व्यवस्था कर रहे हैं.

मुद्दे वही पुराने

अहमदाबाद में चुनावी मुद्दे वही पुराने हैं. हां, गलोबल स्कूल में अभिभावकों के मनमानी फीस विरोधी अभियान ने फीस का मुद्दा अवश्य गरमा दिया है. गब्बर सिंह टैक्स ( जीएसटी) और नोटबंदी की परेशानियों को कांग्रेस मुद्दा बनाए हुए है तो भाजपा विकास पर वोट मांग रही है

Web Title: Political Roti Baking Campaign Battle of prestige in both seats of Ahmedabad