पुलिस ने PMC बैंक और HDIL के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दायर की, एसआईटी का गठन
By भाषा | Published: September 30, 2019 11:52 PM2019-09-30T23:52:28+5:302019-09-30T23:52:28+5:30
पुलिस के एक आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार कर्ज का भुगतान नहीं होने के बावजूद बैंक के अधिकारियों ने एचडीआईएल के ऋण को गैर- निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया और इस सूचना को रिजर्व बैंक अधिकारियों से छिपाया।
मुंबई पुलिस ने सोमवार को पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) बैंक के पूर्व प्रबंधन और एचडीआईएल के प्रवर्तकों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दायर की। इस मामले की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा। रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक की शिकायत के आधार पर शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अधिकारियों के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दायर किया है।
पुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि 2008 से बैंक का घाटा 4,355.46 करोड़ रुपये हो चुका है। बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह, प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा एचडीआईएल के निदेशक वाधवन का नाम एफआईआर में है। वाधवन के पूरे नाम की तत्काल जानकारी नहीं मिल पाई। इस मामले में काम करने के तरीके के बारे में एफआईआर में कहा गया है कि एचडीआईएल के प्रवर्तकों ने बैंक के प्रबंधन के साथ सांठगाठ कर भांडुप शाखा से कर्ज लिया।
पुलिस के एक आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार कर्ज का भुगतान नहीं होने के बावजूद बैंक के अधिकारियों ने एचडीआईएल के ऋण को गैर- निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया और इस सूचना को रिजर्व बैंक अधिकारियों से छिपाया। इन लोगों ने कंपनियों के जाली खाते भी बनाए जिन्होंने थोड़ी-थोड़ी राशि का कर्ज लिया।
नियामकीय निगरानी से बचने के लिए बैंक की जाली रिपोर्ट भी बनाई गई। इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (सरकारी कर्मचारी या बैंकर द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन), 420 (धोखाधड़ी, 465, 466 और 471 (जालसाजी से संबंधित) के अलावाा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।