पीएम मोदी ने कहा- प्रणब मुखर्जी उच्च कोटि के विद्वान व राजनीतिज्ञ थे, उनका मार्गदर्शन कभी भूल नहीं पाऊंगा
By भाषा | Published: September 1, 2020 12:05 AM2020-09-01T00:05:44+5:302020-09-01T00:05:44+5:30
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने से पहले वे 23 सालों तक कांग्रेस की सर्वोच्च नीति-निर्धारण इकाई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य रहे। इस दौरान वे पार्टी के लिए संकटमोचक की भूमिका भी निभाते रहे।
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि का राजनीतिज्ञ बताया और कहा कि प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर उनकी ‘‘ज्ञानपूर्ण सलाह’’ को वे कभी नहीं भुला सकेंगे। मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि साल 2014 में जब वह प्रधानमंत्री बने तो केंद्र की राजनीति में वह बिल्कुल नए थे और ऐसे समय में उन्हें मुखर्जी का मार्गदर्शन मिला।
मोदी ने कहा कि मुखर्जी ने राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी और जिनका सम्मान सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी तबकों में था। उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश ‘भारत रत्न’ श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोकाकुल है। उनके परिवार, मित्रों और देश भर में उनके प्रशंसकों व समर्थकों के प्रति मेरी संवेदानाएं है। ओम शांति।’’
पांच दशकों तक सार्वजनिक जीवन में रहे मुखर्जी पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। सोमवार शाम उन्होंने राजधानी दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 84 वर्ष के थे। उन्होंने कहा, ‘‘पहले दिन से मुझे मुखर्जी का मार्गदर्शन, समर्थन और आशीर्वाद मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके साथ अपनी यादों को मैं हमेशा संजो कर रखूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर उनका ज्ञानपूर्ण परामर्श मैं कभी भी नहीं भूल पाऊंगा।’’ प्रधानमंत्री ने मुखर्जी के साथ अपनी कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। इनमें से एक तस्वीर में वे मुखर्जी के पैर छूकर प्रणाम करते दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर भारत आज दुखी है।
देश के विकास में वह अमिट छाप छोड़ गए हैं। वे एक सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ थे जिनकी प्रशंसा सभी राजनीतिक दल और समाज के सभी वर्गों में होती है।’’ उन्होंने कहा कि अपने दशकों लंबे राजनीतिक करियर के दौरान प्रणब मुखर्जी ने आर्थिक और रणनीतिक जैसे प्रमुख मंत्रालयों में दीर्घकालिक योगदान दिए।
प्रधानमंत्री ने उन्हें एक ‘‘उत्कृष्ट’’ सांसद बताया जो हमेशा पूरी तैयारी में रहते थे, गजब के वक्ता थे और साथ ही हाजिर जवाब भी। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने राष्ट्रपति भवन तक आम आदमी की पहुंच सरल बना दी। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति भवन को उन्होंने ज्ञान, नवाचार, संस्कृति, विज्ञान और साहित्य का केंद्र बनाया।’’
सनद रहे कि मोदी जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे उस वक्त मुखर्जी राष्ट्रपति थे। विपरीत विचारधाराओं से होने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुखर्जी के बीच संबंधों का ऐसा तालमेल देखने को मिला कि वह राष्ट्रव्यापी चर्चा का मुद्दा बन गया जब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय का दौरा किया और उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया।
राष्ट्रपति बनने से पहले वे 23 सालों तक कांग्रेस की सर्वोच्च नीति-निर्धारण इकाई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य रहे। इस दौरान वे पार्टी के लिए संकटमोचक की भूमिका भी निभाते रहे। मुखर्जी को दिल्ली छावनी स्थित अस्पताल में गत 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी।
मुखर्जी को बाद में फेफड़ों में संक्रमण हो गया। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे। भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र माधव माधव