साल की 7 RTI, जिन्‍होंने PM मोदी की विदेश यात्राओं से लेकर मनमोहन तक की खोली पोल

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 20, 2017 16:54 IST2017-12-20T15:04:30+5:302017-12-20T16:54:26+5:30

2017 में आरटीआई द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के विदेशी दौरे के दौरान खर्चे की जानकरी मांगी गई।

pm modi to manmohan know how many polices were opened by rti | साल की 7 RTI, जिन्‍होंने PM मोदी की विदेश यात्राओं से लेकर मनमोहन तक की खोली पोल

साल की 7 RTI, जिन्‍होंने PM मोदी की विदेश यात्राओं से लेकर मनमोहन तक की खोली पोल

सूचना का अधिकार (आरटीआई) देश में 2005 में एक नई क्रांति लेकर आया , जिसने सरकार से सवाल करने का आम आदमी को अधिकार दिया। उसके तहत कोई भी सरकार से किसी भी तरह की जानकारी मांग सकता है जिसका जवाब सरकार को देना ही होगा। हर साल लाखों लोग आरटीआई के जरिए ऐसी जानकारी मांगते हैं जिनका जवाब बेहद चौंकाने वाला भी होता है।
 
मोदी , मनमोहन के विदेशी दौरों पर खर्चों की जनकारी

2017 में आरटीआई द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के विदेशी दौरे के दौरान खर्चे की जानकरी मांगी गई। इसे PMO(प्रधानमंत्री कार्यालय) ने अस्पष्ट कहते हुए खारिज कर दिया। 16 जून को नूतन ठाकुर ने आरटीआई के जरिए ये जानकारी मांगी थी, लेकिन इसको पीएमओ ने नहीं दिया था। इसके बाद कहा गया था कि पीएमओ जानबूझकर इनके विदेशी खर्चों को छुपा रहा है।

PM के विज्ञापनों का खर्चा

एक आरटीआई में पीएम मोदी के प्रचार के लिए हुए विज्ञापनों के खर्चे के बारे में पूछा गया था। जिसका जवाब बेहद हैरान करने वाला था। आरटीआई ने बताया था मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के साढ़े तीन साल के दौरान 3,755 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। जिसमें इलेक्ट्रोनिक मीडिया में विज्ञापन पर करीब 1,656 करोड़ रुपए खर्च हुए। प्रिंट मीडिया में दिए विज्ञापन पर करीब 1,698 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए। इसके अलावा होर्डिंग, पोस्टर, बुकलेट्स व कैलेंडर पर 399 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हुए हैं।

दिल्ली में कितनी महिलाओं के हुए अपहरण

दिल्ली में हर रोज होने वाले महिलाओं के अपहरण पर भी आरटीआई से पूछा गया कि पिछले साल दर्ज अपहरण के 6,707 मामलों में से 4,101 मामलों में क्या महिलाएं पीड़ित थीं। इसके अलावा, अपहरण के 75 फीसदी से ज्यादा मामले महिलाओं से जुड़े हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, 'पिछले साल दर्ज अपहरण के 699 मामलों में से 524 में महिलाएं पीड़ित थीं। 

आधार से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक कीं

2017 में जो सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा वो था आधार। आरटीआई में खुलासा हुआ है कि  भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने बताया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के 200 से ज्यादा वेबसाइटों से कुछ लोगों की जानकारी लीक हुई है। हांलाकि इनके बारें में पूरी जानकारी नहीं दी थी।


गुम हुआ निर्भया फंड

निर्भया के साथ हुए हादसे के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर निर्भया फंड का ऐलान किया था। इसके लाभ पर आरटीआई में खुलासा हुआ कि इस फंड का लाभ सरकार महिलाओं को नहीं दे पाई है और 40 फीसदी भी अभी तक खर्च नहीं कर पाई है। इसी आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निर्भया कांड के पांच साल बाद 660 वन स्‍टॉप सेंटर्स में से सिर्फ 148 ही खोल सका है। सबसे खास बात है कि घटनास्‍थल रहे दिल्‍ली में ऐसा एक भी वन स्‍टॉप सेंटर नहीं खोला गया है।

महज आठ सूबों में एक भी बूचड़खाना पंजीकृत नहीं

यूपी  समेत अलग-अलग राज्यों में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम चलाई गई थी। जिसके बाद आरटीआई में पूछे गए सवाल से पता लगा कि देश में केवल 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं।

भगत सिंह को बताया आतंकी व कट्टर युवा

एक आरटीआई में बेहद चौकाने वाला खुलासा हुआ, जिसमें भगत सिंह को आतंकी व कट्टरपंथी युवा करारा गया। आरटीआई के जरिये पूछे गए सवाल के जवाब में यह भी बताया गया है कि भारत सरकार ने अभी तक भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा नहीं दिया है। आरटीआई में ICHR द्वारा नवंबर में जारी एक किताब को लेकर सवाल में पूछा गया था, जिसमें देश के लिए जान देने वाले इन तीनों युवाओं को आतंकी और कट्टरपंथी युवा बताया गया है।

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