यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच पीएम मोदी ने रुस के राष्ट्रपति पुतिन से की फोन पर बात
By योगेश सोमकुंवर | Published: July 1, 2022 05:36 PM2022-07-01T17:36:01+5:302022-07-01T17:37:30+5:30
यूक्रेन संकट को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से भारत के पुराने रुख को जाहिर किया. यूक्रेन संकट से निपटने के लिए भारत पहले भी रुस को बातचीत के जरिए मसला सुलझाने की सलाह दे चुका है.
यूक्रेन के खिलाफ पिछले कई महीनों से जंग लड़ रहे रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीफोन पर बातचीत की है. शुक्रवार को हुई इस बातचीत में दोनों नेताओं ने व्यापार से जुड़े मुद्दों और कई वैश्विक मसलों पर आपस में चर्चा की.
युद्ध के अलावा द्विपक्षीय व्यापार पर हुई बात
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं ने दिसंबर 2021 में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान लिए गए फैसलों के कार्यान्वयन की समीक्षा की. दोनों नेताओं ने कृषिगत वस्तुओं, उर्वरकों और फार्मा उत्पादों के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को और आगे प्रोत्साहित किए जाने के बारे में भी बात की.
यूक्रेन संकट पर भारत ने अपना रुख दोहराया
यूक्रेन संकट को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से भारत के पुराने रुख को जाहिर किया. यूक्रेन संकट से निपटने के लिए भारत पहले भी रुस को बातचीत के जरिए मसला सुलझाने की सलाह दे चुका है. कई मंचों के जरिए प्रधानमंत्री मोदी भी जंग रोकने का आह्वान कर चुके हैं. भारत लगातार बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने पर जोर देता आया है और पहले भी पीएम मोदी ने इसे लेकर राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेंलेस्की से चर्चा की थी.
रूस और यूक्रेन की जंग को चार महीने से भी ज्यादा का वक्त हो चुका हैं, लेकिन दुनिया के कई देशों की कोशिशों के बावजूद युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हजारों लोग अब कर इस जंग में जान गंवा चुके है लेकिन रूस किसी तरह से पीछे हटने को तैयार नहीं है.
UN में रुस के खिलाफ प्रस्ताव में भारत रहा था गैरहाजिर
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष की शुरुआत से ही भारत युद्ध के बजाय बातचीत और कूटनीति के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने के अपने रुख पर कायम है. अप्रैल 2022 में, संयुक्त राष्ट्र में रुस के खिलाफ लाए गए उस प्रस्ताव से भारत ने खुद को अलग कर लिया था जिसमें रुस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से निलंबित करने की बात कही गई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका द्वारा यह प्रस्ताव पेश किया गया था.
वहीं दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा और खाद्यान्न बाजारों की स्थिति समेत विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की.