पीएम मोदी का बड़ा हमला: वंदे मातरम् पर कांग्रेस ने किया था समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम् को लेकर वर्ष 1937 में हुए ऐतिहासिक विवाद का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उस समय मुस्लिम लीग के दबाव में कांग्रेस ने देशभक्ति के इस प्रतीक गीत के साथ समझौता किया था। पीएम मोदी के मुताबिक, वंदे मातरम् के खिलाफ राजनीति उस दौर में तेज हो गई थी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम की भावना को कमजोर करने का प्रयास किया।
जिन्ना के विरोध के बाद बदला राजनीतिक माहौल
प्रधानमंत्री ने बताया कि 15 अक्टूबर 1937 को मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम् के खिलाफ विरोध का ऐलान किया था। इसके बाद देश की राजनीति में उथल-पुथल मच गई। पीएम मोदी ने कहा कि उस समय कांग्रेस ने जिन्ना के बयानों का मजबूती से विरोध करने के बजाय खुद वंदे मातरम् की समीक्षा शुरू कर दी, जिससे पूरे देश में नाराजगी फैल गई।
नेताजी को लिखी गई चिट्ठी का भी जिक्र
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि जिन्ना के बयान के पांच दिन बाद, 20 अक्टूबर 1937 को तत्कालीन कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने जिन्ना की भावनाओं से सहमति जताते हुए लिखा कि “आनंदमठ” उपन्यास की पृष्ठभूमि से जुड़ा वंदे मातरम् मुस्लिम समाज को भड़का सकता है। इसके बाद कांग्रेस ने 26 अक्टूबर 1937 को कोलकाता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाकर वंदे मातरम् के इस्तेमाल पर पुनर्विचार का फैसला किया।
कांग्रेस पर मुस्लिम लीग के आगे झुकने का आरोप
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि 26 अक्टूबर की बैठक में कांग्रेस ने वंदे मातरम् के मूल स्वरूप से समझौता कर लिया और इसे टुकड़ों में बांट दिया गया। इस फैसले को सामाजिक सद्भाव का नाम दिया गया, लेकिन इतिहास गवाह है कि यह कदम मुस्लिम लीग के दबाव में उठाया गया था।