मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की निगरानी में जाली निर्णय कांड की एसआईटी जांच के लिए याचिका दायर

By भाषा | Updated: July 16, 2021 17:15 IST2021-07-16T17:15:34+5:302021-07-16T17:15:34+5:30

Petition filed for SIT investigation of fake judgment case under the supervision of Madhya Pradesh High Court | मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की निगरानी में जाली निर्णय कांड की एसआईटी जांच के लिए याचिका दायर

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की निगरानी में जाली निर्णय कांड की एसआईटी जांच के लिए याचिका दायर

इंदौर, 16 जुलाई इंदौर में एक महिला से मारपीट के मुकदमे में स्थानीय अदालत के दो अलग-अलग जाली फैसले तैयार किए जाने का बहुचर्चित मामला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय पहुंच गया है। उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर जाली निर्णय कांड की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर अदालत की निगरानी में कराने का अनुरोध किया गया है।

स्थानीय वकील आलोक कुमावत ने यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के वकील धर्मेन्द्र गुर्जर ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि जाली निर्णय कांड में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी संतोष वर्मा को गिरफ्तार किया गया है और आशंका है कि रसूखदार लोग इस मामले की जांच पर असर डाल सकते हैं।

उन्होंने बताया, "हमने जनहित याचिका में गुहार लगाई है कि जाली निर्णय कांड की निष्पक्ष छानबीन के लिए विशेष जांच दल गठित किया जाए और यह तहकीकात उच्च न्यायालय की निगरानी में ही की जाए।"

गुर्जर ने बताया कि उनके मुवक्किल की जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए सोमवार को उच्च न्यायालय से अनुरोध किया जाएगा।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जाली निर्णय कांड में राज्य के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अपर आयुक्त के रूप में भोपाल में पदस्थ संतोष वर्मा को पूछताछ के बाद 10 जुलाई की देर रात गिरफ्तार किया गया था। वह एक स्थानीय अदालत के आदेश पर 17 जुलाई (शनिवार) तक पुलिस हिरासत में हैं।

अधिकारी के मुताबिक वर्मा पर आरोप है कि वह एक महिला से मारपीट के मुकदमे में अपनी कथित दोषमुक्ति के लिए इंदौर की एक अदालत का जाली फैसला तैयार कराया और उसकी मदद से राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस संवर्ग में पदोन्नत हुए।

अधिकारी ने प्राथमिकी के हवाले से बताया कि इंदौर के एक विशेष न्यायाधीश के नाम पर छह अक्टूबर 2020 की तारीख के दो जाली फैसले तैयार किए गए थे। इनमें से एक फैसले में वर्मा को महिला से गाली-गलौज, मारपीट और आपराधिक धमकी के आरोपों से बरी बताया गया था, जबकि दूसरे फैसले में कहा गया था कि दोनों पक्षों में राजीनामा (समझौता) हो गया है।

अधिकारी के मुताबिक खुद विशेष न्यायाधीश ने शहर के एमजी रोड पुलिस थाने में इस साल 26 जून को शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि उन्होंने छह अक्टूबर 2020 को उक्त मामले में कोई भी निर्णय पारित नहीं किया क्योंकि उन्होंने कैंसर का इलाज करा रही अपनी पत्नी की चिकित्सकीय जांच कराने के लिए इस तारीख को एक दिन का आकस्मिक अवकाश लिया था।

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Web Title: Petition filed for SIT investigation of fake judgment case under the supervision of Madhya Pradesh High Court

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