औपनिवेशिक कालीन भादंसं के स्थान पर ‘विस्तृत’ एवं ‘कड़े’ कानून बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर

By भाषा | Updated: July 17, 2021 18:09 IST2021-07-17T18:09:25+5:302021-07-17T18:09:25+5:30

Petition filed for demanding 'comprehensive' and 'stringent' law in place of colonial era IPC | औपनिवेशिक कालीन भादंसं के स्थान पर ‘विस्तृत’ एवं ‘कड़े’ कानून बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर

औपनिवेशिक कालीन भादंसं के स्थान पर ‘विस्तृत’ एवं ‘कड़े’ कानून बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर

नयी दिल्ली, 17 जुलाई उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह न्यायिक समिति या विशेषज्ञों के निकाय का गठन करे जो भारतीय दंड संहिता 1860 सहित वर्तमान कानूनों की जांच करने के बाद कानून का शासन एवं समानता सुनिश्चित करने के लिए ‘‘विस्तृत’’ एवं ‘‘सख्त’ दंड संहिता तैयार करे।

याचिका वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है और शीर्ष अदालत से कहा है कि ‘‘संविधान का रक्षक एवं मौलिक अधिकारों का संरक्षक’’ होने के नाते वह भारत के कानून आयोग को निर्देश दे सकती है कि ‘‘भ्रष्टाचार एवं अपराध से जुड़े घरेलू एवं आंतरिक कानूनों की जांच करे और सख्त तथा विस्तृत भारतीय दंड संहिता का मसौदा छह महीने के अंदर तैयार करे।’’

वकील अश्विनी दुबे के मार्फत दायर जनहित याचिका में कहा गया है, ‘‘केंद्र को निर्देश दीजिए कि विशेषज्ञ समिति या न्यायिक आयोग का गठन करे जो भ्रष्टाचार-अपराध से जुड़े सभी घरेलू-आंतरिक कानूनों की जांच करे और एक विस्तृत एवं सख्त ‘एक देश एक दंड संहिता’ का मसौदा तैयार करे ताकि कानून का शासन, कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।’’

इसने केंद्र को निर्देश देने का आग्रह किया कि भ्रष्टाचार एवं अपराध से जुड़े वर्तमान पुराने कानूनों की जगह सख्त एवं विस्तृत भारतीय दंड संहिता (एक देश एक दंड संहिता) को लागू करने की व्यवहार्यता का पता लगाए।

याचिका में कहा गया है कि 161 वर्ष पुराने औपनिवेशिक आईपीसी के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है।

इसमें कहा गयाा है, ‘‘अगर आईपीसी प्रभावी होता तो कई ब्रितानियों को दंडित किया जाता न कि स्वतंत्रता सेनानियों को। वास्तव में आईपीसी 1860 और पुलिस कानून 1861 बनाने का मुख्य कारण 1857 जैसे आंदोलन को रोकना था।’’

इसने कहा कि संदिग्ध व्यक्तियों की तलाश (विच हंटिंग), इज्जत की खातिर हत्या (ऑनर किलिंग), मॉब लिंचिंग, गुंडा एक्ट आदि को भादंसं में शामिल नहीं किया गया है जबकि पूरे देश में ये अपराध हो रहे हैं और एक ही अपराध के लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग सजा है।

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Web Title: Petition filed for demanding 'comprehensive' and 'stringent' law in place of colonial era IPC

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