कोरोना से जुड़ी मदद मांगने वालों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई हो: सुप्रीम कोर्ट

By भाषा | Published: May 3, 2021 07:28 PM2021-05-03T19:28:15+5:302021-05-03T20:50:12+5:30

न्यायालय ने कहा कि अगर मौजूदा आदेश के बावजूद यह सिलसिला जारी रहता है तो वह अवमानना न्यायाधिकार के तहत उपलब्ध शक्तियों के इस्तेमाल के लिये विवश होगा।

Persecution of those seeking Kovid help will be punishable: Court | कोरोना से जुड़ी मदद मांगने वालों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई हो: सुप्रीम कोर्ट

(फाइल फोटो)

Highlightsकोर्ट ने राज्यों को वैक्सीन महंगी कीमत पर मिलने पर भी सवाल उठाए हैं।दिल्ली में ऑक्सिजन सप्लाई की कमी तुरंत दूर किया जाए। राज्य किसी को भी स्थानीय आवास प्रमाण पत्र के अभाव में अस्पताल में भर्ती करने से नहीं रोक सकती।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्रों और राज्यों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों को यह सूचित करें कि कोविड के संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी पर रोक लगाने या किसी भी मंच पर मदद मांगने वाले व्यक्तियों का उत्पीड़न करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि लोग इस “चुनौतीपूर्ण वक्त” में, इन मंचों पर हताशा में अपने प्रियजनों के लिये मदद खोज रहे हैं, उनकी मुश्किलों को राज्य और उसके तंत्रों द्वारा कार्रवाई के जरिये और नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। 

न्यायालय ने कहा कि वह यह जानकर “बेहद व्यथित” हैं ऐसे मंचों पर मदद मांग रहे व्यक्तियों को यह आरोप लगाकर निशाना बनाया जा रहा है कि उनके द्वारा पोस्ट की गई जानकारी गलत है और सोशल मीडिया पर उसे अफरातफरी पैदा करने, प्रशासन को बदनाम करने तथा “राष्ट्रीय छवि” को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से डाला गया है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को निशाना बनाए जाने को माफ नहीं किया जाना चाहिए। 

पीठ ने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिकायत करने वालों अथवा साथी नागरिकों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में मदद का प्रयास कर रहे लोगों पर अभियोजन अथवा गिरफ्तारी के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष खतरे को तत्काल खत्म किया जाये। रविवार देर रात अपलोड हुए 64 पन्नों के आदेश में न्यायालय ने कहा कि अगर मौजूदा आदेश के बावजूद यह सिलसिला जारी रहता है तो वह अवमानना न्यायाधिकार के तहत उपलब्ध शक्तियों के इस्तेमाल के लिये विवश होगा। 

‘‘केंद्र और राज्य सरकार सभी मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और पुलिस आयुक्तों को अधिसूचित करे कि सोशल मीडिया पर किसी भी सूचना को रोकने या किसी भी मंच पर मदद की मांग कर रहे लोगों का उत्पीड़न करने पर यह अदालत अपने न्यायाधिकार के तहत दंडात्मक कार्रवाई करेगी।’’ न्यायालय ने कहा, “रजिस्ट्रार (न्यायिक) को भी निर्देश दिया जाता है कि वह देश के सभी जिलाधिकारियों को इस आदेश की प्रति भेजें।” 

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की जानकारी पर किसी प्रकार की बंदिश लगाना तत्काल बंद होना चाहिए क्योंकि इस जनत्रासदी से निपटने के लिये सूचनाओं का साझा किया जाना काफी महत्वपूर्ण साधन है और यह इस महामारी के बारे ‘सामूहिक सार्वजनिक संस्मरण’ के सृजन में मददगार होगी। न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये स्वत: शुरू की गयी कार्यवाही के मामले में ये निर्देश दिये।

Web Title: Persecution of those seeking Kovid help will be punishable: Court

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