नई दिल्ली, 26 जून: जब से देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय संघ सेवक (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल हुए हैं, उसके बाद से संघ में शामिल होने के लिए आवेदनों की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है। इस बात का दावा आरएसएस की तरफ से किया जा रहा है। आरएसएस के वरिष्ठ नेता विप्लब रॉय के मुताबिक आ रहे आवेदनों में से 40 फीसदी तो सिर्फ पश्चिम बंगाल से हैं। उन्होंने आगे बताया है कि 1-6 जून तक आरएसएस की वेबसाइट पर हर रोज 378 आवेदन आ रहे थे। लेकिन 7 जून यानी जिस दिन प्रणब मुखर्जी कार्यक्रम में शामिल हुए, सिर्फ उस दिन 1,779 आवेदन आए। और उसके बाद से हर रोज 1200-1300 आवेदन संघ में शामिल होने के लिए आ रहे हैं।
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गौरतलब है कि सात जून को नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यलाय में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था। आरएसएस ने बतौर चीफ गेस्ट पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया था। आरएसएस की तरफ से भेजे गए निमंत्रण को प्रणब मुखर्जी ने ना सिर्फ स्वीकार किया बल्कि दीक्षांत समारोह में शामिल भी हुए। उनके शामिल होने को लेकर खूब बवाल मचा था। चौतरफा हो रही अपनी आलोचनाओं का जवाब देते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा था, 'मुझे जो भी कुछ कहना है, मैं नागपुर में कहूंगा। मुझे कई पत्र आए और कई लोगों ने फोन किया, लेकिन मैंने किसी का जवाब नहीं दिया है।'
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एक तरफ कांग्रेस के नेता उनके दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लेकर हैरानी जता रहे थे वहीं कुछ लोग बचाव कर रहे थे। कांग्रेस नेता और प्रणब मुखर्जी की बेटी शमिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता के फैसले पर हैरानी जताई थी। साथ ही वो काफी नाराज थीं। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सोशल मीडिया पर प्रणब मुखर्जी की एक फेक फोटो काफी वायरल हुई थी, जिसमें वो संघ संचालक मोहन भागवत और बाकी नेताओं के साथ ध्वज प्रणाम करते दिख रहे थे। इस फोटो को लेकर शामिष्ठा ने ये टिप्पणी भी की थी। उन्होंने कहा था कि जिस बात का डर था वही हुआ।
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