नयी दिल्ली, 19 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि जिन क्षेत्रों में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़ रही है, वहां कोविड-19 मानदंडों का उल्लंघन करने पर लगाया गया जुर्माना आनुपातिक रूप से कम है।
कोविड-19 मानदंडों में सामाजिक दूरी का पालन और मास्क पहनना आदि शामिल हैं।
कोविड-19 प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय निर्देशों के उल्लंघन पर लगाए गए जुर्माने, दर्ज प्राथमिकी और गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली सरकार के प्रयासों पर सवाल किया।
पीठ ने गौर किया कि मानदंडों का उल्लंघन करने पर सात सितंबर से 16 नवंबर के बीच पूरे शहर में केवल पांच गिरफ्तारी की गयी। दक्षिण तथा दक्षिण पश्चिम दिल्ली, जो कोविड-19 संक्रमण में वृद्धि से प्रभावित हैं, में मानदंडों का पालन नहीं करने पर लगाया गया जुर्माना आनुपातिक रूप से बहुत कम है।
पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि पहली बार उल्लंघन के लिए 500 रुपये और उसके बाद के उल्लंघन के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है तथा यह प्रतिरोधक प्रतीत नहीं हो रहा है।
पीठ ने कहा कि सरकार की कार्रवाई प्रतिरोधक होनी चाहिए ताकि लोग अधिक सतर्क रहें और मानदंडों का पालन करें।
अदालत ने कहा कि मानदंडों को लागू करने के संबंध में प्रशासन "शिथिल" रहा जिससे घरों के अंदर रह रहे और बेहद सतर्क लोग उन व्यक्तियों की वजह से संक्रमित हो रहे हैं जो सावधान नहीं हैं।
पीठ अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस की जांच बढ़ाने और जल्दी रिपोर्ट का अनुरोध किया गया है।
दिल्ली सरकार ने अपने वकील सत्यकाम के माध्यम से दायर स्थिति रिपोर्ट में बताया कि कोविड-19 मानदंडों को लागू करने के लिए बहु-संगठनात्मक मोबाइल टीमों का गठन किया गया है और सात सितंबर से 16 नवंबर के बीच उल्लंघन करने वाले नागरिकों पर कुल 11.79 करोड़ रुपये एकत्र का जुर्माना लगाया गया।
पीठ को यह भी बताया गया कि इसी अवधि के दौरान दिल्ली पुलिस ने नागरिकों का चालान कर जुर्माने के तौर पर 26 करोड़ रुपये वसूले।
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