'केंद्र लोकतंत्र के चार स्तंभों को कमजोर कर रहा', पेगासस मामले में बोले राउत-सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भी ध्यान नहीं दे रही सरकार
By अभिषेक पारीक | Published: August 6, 2021 04:00 PM2021-08-06T16:00:02+5:302021-08-06T16:07:02+5:30
राउत ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी के जरिए लोकतंत्र के चार स्तंभों को कमजोर कर रही है।
पेगासस जासूसी मामले में बयानबाजी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों के हमले लगातार तेज होते जा रहे हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने एक बार फिर इस मामले में केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार लोकतंत्र के चार स्तंभों को कमजोर कर रही है।
राउत ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी के जरिए लोकतंत्र के चार स्तंभों को कमजोर कर रही है। दिल्ली में राउत ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी पर भी ध्यान नहीं दे रही कि पेगासस मामला, अगर सच है, तो यह एक गंभीर मामला है। उच्चतम न्यायालय ने एक दिन पहले ही कहा था कि पेगासस के बारे में अगर रिपोर्ट सही है तो इससे संबंधित जासूसी के आरोप 'गंभीर प्रकृति के' हैं।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इजराइली स्पाइवेयर मामले की जांच का अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या उन्होंने इस बारे में आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का कोई प्रयास किया है।
विपक्ष की मांग को खारिज कर रही सरकार-राउत
राउत ने कहा, 'पेगासस स्पाइवेयर से केंद्र लोकतंत्र के चार स्तंभों को कमजोर कर रहा है। पेगासस पर बहस की विपक्ष की मांग को सरकार खारिज कर रही है। केंद्र इस मुद्दे पर और किसानों के आंदोलन पर चर्चा नहीं करना चाहता।'
मराठा आरक्षण पर ये बोले राउत
मराठा आरक्षण के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा, 'जब तक आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा में ढील नहीं दी जाती, इस समुदाय को आरक्षण बहाल नहीं किया जा सकता है।'एक अन्य सवाल पर राउत ने विधान परिषद में 12 सदस्यों को नियुक्त करने के महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी नहीं देने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आलोचना की। राउत ने कहा, 'नामों को मंजूरी नहीं देकर वह संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं। यह राज्य विधायिका और महाराष्ट्र के लोगों का अपमान है।'