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Pegasus मामला: NYT की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर, रक्षा सौदे की जांच की अपील

By विशाल कुमार | Updated: January 30, 2022 14:41 IST

'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर में दावा किया गया है कि भारत ने इजराइल के साथ 2017 में दो अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा सौदे के तहत पेगासस स्पाइवेयर खरीदा था। समाचार पत्र के इस दावे के बाद विवाद खड़ा हो गया है और विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार अवैध जासूसी में लिप्त है, जो ''देशद्रोह'' के समान है।

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ठळक मुद्दे'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इजरायल से पेगासस खरीदा था।विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार अवैध जासूसी में लिप्त है, जो ''देशद्रोह'' के समान है।याचिका में कहा गया है कि सौदे को रद्द करके धनराशि वसूल की जानी चाहिये। 

नई दिल्ली: इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल को लेकर उच्चतम न्यायालय में नयी याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से इस विषय पर अमेरिकी समाचार पत्र 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर का संज्ञान लेते हुए 2017 में हुए भारत-इजराइल रक्षा सौदे की जांच का आदेश देने का अनुरोध किया गया है। 

'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर में दावा किया गया है कि भारत ने इजराइल के साथ 2017 में दो अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा सौदे के तहत पेगासस स्पाइवेयर खरीदा था। समाचार पत्र के इस दावे के बाद विवाद खड़ा हो गया है और विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार अवैध जासूसी में लिप्त है, जो ''देशद्रोह'' के समान है। 

पेगासस के संबंध में शीर्ष अदालत के समक्ष मूल याचिकाएं दाखिल करने वालों में शामिल अधिवक्ता एमएल शर्मा ने यह याचिका दाखिल की है। इस याचिका में कहा गया है कि सौदे को संसद की मंजूरी नहीं मिली थी, लिहाजा इसे रद्द करके धनराशि वसूल की जानी चाहिये। 

शर्मा ने शीर्ष अदालत से न्यायहित में एक आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए तथा पेगासस स्पाइवेयर खरीद सौदे एवं सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग की जांच का उपयुक्त निर्देश जारी करने अनुरोध किया है। 

'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर में दावा किया गया है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे के ''केंद्रबिंदु'' थे। 

'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने 'द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन' शीर्षक से खबर में कहा है कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप लगभग एक दशक से ''अपने निगरानी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को बेच’’ रही था और उसका दावा है कि कि वह जैसा काम कर सकती है, वैसा कोई और नहीं कर सकता।

27 अक्टूबर को, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करते हुए कहा था कि सरकार हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बता कर सवालों से बच नहीं सकती।

बता दें कि, जुलाई 2021 में द वायर सहित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों के एक संघ ने दुनियाभर के देशों में पेगासस के उपयोग का खुलासा किया था। भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब द्वारा किए गए फोरेंसिक विश्लेषण के माध्यम से पेगासस के इस्तेमाल के 10 से अधिक मामले पाए गए थे।

इससे पहले साल 2019 में व्हाट्सएप ने एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया था और उस पर अपने सॉफ्टवेयर का अवैध उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। उस समय व्हाट्सएप ने कहा था कि उसने कई भारतीय कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के फोन पर पेगासस को निशाना बनाते हुए पाया था।

वहीं, पिछले साल नवंबर में अमेरिका ने एनएसओ ग्रुप को निर्यात प्रतिबंधों की सूची में डाल दिया था।

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