अफगान शांति वार्ताकार अब्दुल्ला ने कहा- तालिबान के साथ शांति समझौता भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक नहीं होगा

By भाषा | Updated: October 10, 2020 20:27 IST2020-10-10T20:27:55+5:302020-10-10T20:27:55+5:30

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अगर कोई आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में किसी भी तरह की पकड़ रखता है तो यह हमारे हित में नहीं है। समझौता ऐसा होना चाहिए जो अफगानिस्तान की जनता को स्वीकार्य हो। यह गरिमापूर्ण, टिकाऊ और दीर्घकालिक होना चाहिए।’’

Peace deal with Taliban will not be detrimental to India's national security: Abdullah Abdullah | अफगान शांति वार्ताकार अब्दुल्ला ने कहा- तालिबान के साथ शांति समझौता भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक नहीं होगा

फोटोः ट्विटर

Highlightsअब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि तालिबान के साथ कोई भी शांति समझौता भारत समेत किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘हानिकारक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ वार्ता में शामिल होने या नहीं होने का फैसला नयी दिल्ली को करना है।

नयी दिल्ली: शीर्ष अफगान शांति वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि तालिबान के साथ कोई भी शांति समझौता भारत समेत किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘हानिकारक नहीं होगा और हानिकारक होना भी नहीं चाहिए’ और तालिबान के साथ वार्ता में शामिल होने या नहीं होने का फैसला नयी दिल्ली को करना है। हाई काउंसिल फॉर नेशनल रिकंसिलियेशन के अध्यक्ष अब्दुल्ला ने दिये साक्षात्कार में भारत की इन आशंकाओं को भी खारिज करने का प्रयास किया कि अफगानिस्तान के अंदर चल रही शांति वार्ताओं के संभावित परिणाम स्वरूप तालिबान के लिए कोई प्रमुख भूमिका भारत के रणनीतिक हितों के लिए अहितकारी हो सकती है।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अगर कोई आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में किसी भी तरह की पकड़ रखता है तो यह हमारे हित में नहीं है। समझौता ऐसा होना चाहिए जो अफगानिस्तान की जनता को स्वीकार्य हो। यह गरिमापूर्ण, टिकाऊ और दीर्घकालिक होना चाहिए।’’

प्रभावशाली अफगान नेता ने यह भी कहा कि यदि तालिबान के साथ कोई शांति करार होता है तो अफगानिस्तान के पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्वच्छंद घूम रहे तथा हम पर या अन्य किसी देश पर हमले कर रहे अन्य सभी आतंकवादी समूहों को उनकी गतिविधियां बंद करनी होंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘शांतिपूर्ण समझौता भारत समेत किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक नहीं होगा और होना भी नहीं चाहिए। भारत एक ऐसा देश है जिसने अफगानिस्तान की मदद की है, अफगानिस्तान में योगदान दिया है। यह अफगानिस्तान का मित्र है।’’

नयी दिल्ली में इस तरह की आशंकाएं हैं कि यदि तालिबान और अफगान सरकार के बीच किसी संभावित शांति समझौते के बाद आतंकवादी समूह फिर से राजनीतिक दबदबा हासिल करता है तो पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में सीमापार आतंकवाद को बढ़ाने के लिए तालिबान पर अपने असर का इस्तेमाल कर सकता है।

अब्दुल्ला ऐतिहासिक शांति प्रक्रिया के लिए क्षेत्रीय आम-सहमति बनाने और समर्थन जुटाने के अपने प्रयासों के तहत पांच दिन की यात्रा पर मंगलवार को यहां पहुंचे थे। उन्होंने अपने दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शांति वार्ता पर जानकारी दी तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ मुलाकात की।

जब अब्दुल्ला से पूछा गया कि क्या उन्हें तालिबान के साथ बातचीत में शामिल होने की भारत की इच्छा का कोई संकेत मिला है तो उन्होंने कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से मैं शांति प्रक्रिया में भारत की सहभागिता को प्रोत्साहित करता हूं। मैंने इस बारे में कोई राय नहीं दी। इस बारे में फैसला भारत को करना है कि किसी समूह के साथ बातचीत में कैसे शामिल होना है या शामिल नहीं होना। मैंने इस बारे में ध्यान नहीं दिया।’’

तालिबान और अफगान सरकार सीधी बातचीत कर रहे हैं। इसका मकसद दशकों के संघर्ष को समाप्त करना है जिसमें दसियों हजार लोग मारे गये और अफगानिस्तान के अनेक हिस्से तबाह हो गये। अब्दुल्ला ने कहा कि अफगानिस्तान की जनता शांति और स्थिरता चाहती है और वे आतंकवाद को जारी नहीं रहने देंगे। 

Web Title: Peace deal with Taliban will not be detrimental to India's national security: Abdullah Abdullah

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