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शीत सत्र पर कोविड का साया, वर्चुअल सत्र चाहते हैं सांसद, मानसून सत्र में उपराष्ट्रपति समेत 45 सांसद हुए थे संक्रमित

By हरीश गुप्ता | Updated: November 4, 2020 06:53 IST

Parliament Winter Session: कोविड-19 का असर अभी भी देश में जारी है. ऐसे में संसद के शीत सत्र को लेकर एक बार फिर मंथन शुरू हो गया है. कई सांसद वर्चुअल सत्र के पक्ष में हैं.

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ठळक मुद्देमानसून सत्र 28 सितंबर को खत्म हुआ, अब शीत सत्र पर भी कोविड का सायासरकार वैसे अभी संवैधानिक रूप से संसद का शीत सत्र बुलाने के लिए बाध्य नहीं, नियमों के अनुसार दो सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए

कोविड-19 महामारी ने नवंबर-दिसंबर में होने वाले संसद के शीत सत्र को लेकर सरकार को दोबारा विचार करने पर बाध्य कर दिया है. गत सितंबर में हुए मानसून सत्र में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, कई केंद्रीय मंत्रियों समेत 45 संसद सदस्य संक्रमित हो गए थे. महामारी की चपेट में आकर एक केंद्रीय मंत्री का निधन हो गया था.

यद्यपि सरकार संवैधानिक और वैधानिक रूप से संसद का शीत सत्र बुलाने के लिए बाध्य नहीं है. मानसून सत्र 28 सितंबर को खत्म हुआ.

प्रावधानों के अनुसार दो सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए. इसलिए सरकार अगले वर्ष मार्च में भी शीत सत्र बुला सकती है. लेकिन इसमें एक बाधा यह है कि संसद के बजट सत्र का अगले वर्ष 30 जनवरी को प्रारंभ होना अनिवार्य है.

कोविड-19 का खतरा चूंकि अभी टला नहीं है, सरकार सांसदों को खतरे में नहीं डालना चाहती. उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में राज्यसभा सभापति एवं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है.

प्रमुख विपक्षी दल से भी हालात को लेकर चर्चा की जाएगी. संसदीय मामलों की केंद्रीय समिति इस बारे में संसदीय मामलों के मंत्रालय के प्रस्तुतिकरण के बाद कोई फैसला करेगी.

बिहार चुनाव के नतीजों से सत्र का कोई संबंध नहीं

हालांकि, सूत्रों ने इस बात को सिरे से खारिज किया है कि बिहार चुनाव के नतीजे का शीतसत्र आहूत करने से संबंध है, जैसा की मीडिया के तबके द्वारा कहा जा रहा है. सूत्रों ने खबरों पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि किसी राज्य के चुनाव नतीजों का शीत सत्र से क्या संबंध हो सकता है. 

सांसदों ने कहा - जान खतरे में न डाली जाए कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में सांसदों ने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि उनके जीवन को खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए. सत्र का आयोजन वर्चुअल तरीके से होना चाहिए. मानसून सत्र में भले ही सांसद व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे, लेकिन कोविड-19 की वजह से सत्र को छोटा कर दिया गया था.

टॅग्स :कोविड-19 इंडियासंसदकोरोना वायरस इंडियाएम. वेकैंया नायडू
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