parliament monsoon session: "गठबंधन के लिए लोगों के हितों का बलिदान न करें", शाह ने आप समर्थन देने के लिए I.N.D.I.A की आलोचना की, समर्थन या विरोध की राजनीति न हो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 3, 2023 17:50 IST2023-08-03T17:39:44+5:302023-08-03T17:50:32+5:30

parliament monsoon session: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी नीत दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने का मकसद विजिलेंस को नियंत्रण में लेकर ‘बंगले’ का और भ्रष्टाचार का सच छिपाना है और ऐसे में सभी दलों को देश और दिल्ली के भले को ध्यान में रखना चाहिए।

parliament monsoon session Don’t sacrifice people's interests for sake of alliance Amit Shah slams I.N.D.I.A for supporting AAP see video | parliament monsoon session: "गठबंधन के लिए लोगों के हितों का बलिदान न करें", शाह ने आप समर्थन देने के लिए I.N.D.I.A की आलोचना की, समर्थन या विरोध की राजनीति न हो

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Highlights किसी का समर्थन पाने के लिए कानून का समर्थन या विरोध करने की राजनीति सही नहीं है।"गठबंधन के लिए लोगों के हितों का बलिदान नहीं देना चाहिए।" संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी नीत दिल्ली सरकार पर हमला किया। दिल्ली अध्यादेश पर केंद्र के खिलाफ लड़ाई में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन पर निशाना साधा। शाह ने कहा कि सिर्फ किसी का समर्थन पाने के लिए कानून का समर्थन या विरोध करने की राजनीति सही नहीं है।

"गठबंधन के लिए लोगों के हितों का बलिदान नहीं देना चाहिए।" राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 की चर्चा पर लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।

शाह के अनुसार, पंडित नेहरू ने चर्चा के दौरान कहा था कि ‘‘2 साल पहले सदन ने सीतारमैया समिति की नियुक्ति की थी और अब जब रिपोर्ट आई है तो दुनिया, भारत और दिल्ली बदल चुकी है। इसलिए दिल्ली में हुए इन परिवर्तनों को देखते हुए उस समिति की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते और इसे स्वीकार करना वास्तविकता से पूरी तरह मुंह मोड़ लेना होगा।’’

शाह ने विधेयक का विरोध करने वाले कांग्रेस सदस्यों से कहा कि आज वे जिसका विरोध कर रहे हैं, उसकी सिफारिश पंडित नेहरू ने की थी। शाह ने कहा, ‘‘मेरी सभी सदस्यों से विनती है कि चुनाव जीतने के लिए, किसी का समर्थन हासिल करने के लिए, किसी विधेयक का समर्थन या विरोध करने की राजनीति नहीं करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि नया गठबंधन बनाने के अनेक तरीके होते हैं, विधेयक और कानून देश के भले के लिए लाए जाते हैं और इसका विरोध या समर्थन भी देश और दिल्ली के भले के लिए करना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ मेरी विपक्ष के सदस्यों से अपील है कि आप दिल्ली की सोचिए, गठबंधन की मत सोचिए। क्योंकि गठबंधन होने के बाद भी पूर्ण बहुमत से नरेन्द्र मोदी ही अगली बार प्रधानमंत्री बनने वाले हैं।’’

‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक, 2023’ को चर्चा एवं पारित होने के लिए निचले सदन में रखते हुए गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘‘ 2015 में दिल्ली में एक ऐसे दल की सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं बल्कि झगड़ा करना है।’’ उन्होंने कहा कि 1993 के बाद दिल्ली में कभी कांग्रेस और कभी भाजपा की सरकार आईं।

शाह ने कहा कि यहां अनेक पार्टियों की सरकार रही, मिली जुली सरकारें भी रहीं। मगर राष्ट्रसेवा और जनसेवा करने में किसी को भी कोई दिक्कत नहीं आई। गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली की वर्तमान सरकार को समस्या स्थानांतरण और पदस्थापना के अधिकार को लेकर नहीं है बल्कि इन्होंने जो बंगला बनाया है और जो भ्रष्टाचार हो रहा है, विजिलेंस को नियंत्रण में लेकर उसके सत्य को छिपाना इनका मकसद है।

शाह ने विपक्ष के सदस्यों से अपील की कि वे गठबंधन की बजाए दिल्ली के बारे सोचकर समर्थन या विरोध करें क्योंकि ‘‘गठबंधन होने के बाद भी पूर्ण बहुमत से नरेन्द्र मोदी ही अगली बार प्रधानमंत्री बनने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक’ संसद में लाकर उच्चतम न्यायालय के फैसले का किसी तरह से उल्लंघन नहीं किया गया है और संविधान के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।

शाह ने कहा, ‘‘दिल्ली न तो पूर्ण राज्य है, न ही पूर्ण संघ शासित प्रदेश है। राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए में इसके लिए एक विशेष प्रावधान है।’’ उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के तहत इस संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या इससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।

शाह ने कहा कि कुछ सदस्यों ने कहा कि इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करके लाया गया है, लेकिन वह उन सदस्यों से कहना चाहते हैं कि न्यायालय के फैसले के मनपसंद हिस्से की बजाए पूरा संदर्भ दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में पैरा 86, पैरा 95 और पैरा 164 (एफ) में स्पष्ट किया गया है कि अनुच्छेद 239 ए ए में संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। दिल्ली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी।

गृह मंत्री ने कहा कि जब यह सिफारिश संविधान सभा के समक्ष आई तो प. जवाहर लाल नेहरू जी, श्रीमान सरदार पटेल, राजाजी, राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. अंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर का कहना था कि जहां तक दिल्ली का सवाल है, उन्हें ऐसा लगता है कि भारत की राजधानी के रूप में शायद ही किसी स्थानीय प्रशासन को मुक्त अधिकार यहां दिए जा सकते हैं।

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