Parliament Budget Session 2022: देश में 257 थानों में वाहन नहीं और 638 में टेलीफोन नहीं, ई-श्रम पोर्टल पर 25 करोड़ लोगों ने कराया पंजीकरण
By भाषा | Updated: February 10, 2022 20:59 IST2022-02-10T20:55:26+5:302022-02-10T20:59:24+5:30
Parliament Budget Session 2022: श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले चार महीने में ई-श्रम पोर्टल पर देश के असंगठित क्षेत्र के 25 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया है।

भारत सरकार के माध्यम से आपूर्ति पक्ष के लिए के लिए श्रम ब्यूरो के द्वारा एक सर्वेक्षण प्रारम्भ किया गया है।
Parliament Budget Session 2022: संसद की एक स्थायी समिति ने बृहस्पतिवार को संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में 257 थानों में वाहन नहीं हैं और 638 में टेलीफोन नहीं हैं।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति ने कहा कि एक जनवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार देश में 16,833 थानों में से 257 थानों में वाहन नहीं है, 638 थानों में टेलीफोन नहीं है और 143 थानों में वायरलैस या मोबाइल फोन नहीं हैं।
समिति ने कहा कि उसकी राय है कि आधुनिक पुलिस प्रणाली में सुदृढ़ संचार समर्थन, अत्याधुनिक उपकरण और त्वरित कार्रवाई के लिए अत्यधिक गतिशीलता जरूरी है। उसने कहा कि 21वीं सदी में भी भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब जैसे अनेक संवेदनशील राज्यों में थाने बिना टेलीफोन या उचित वायरलैस कनेक्टिविटी के हैं।
जबकि इनमें से कुछ राज्यों को 2018-19 में बेहतर प्रदर्शन प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया गया है। समिति ने कहा, ‘‘‘जम्मू कश्मीर जैसे बहुत संवेदनशील सीमावर्ती केंद्रशासित प्रदेश में भी ऐसे थाने बड़ी संख्या में हैं, जिनमें टेलीफोन और वायरलैस सेट नहीं हैं।’’
रिपोर्ट के अनुसार समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय ऐसे राज्यों को सलाह दे सकता है कि उनके थानों में पर्याप्त वाहन और संचार उपकरणों की व्यवस्था की जाए, अन्यथा केंद्र से आधुनिकीकरण के लिए अनुदानों को हतोत्साहित किया जा सकता है। समिति ने कहा, ‘‘केंद्रशासित प्रदेशों के लिए गृह मंत्रालय यह सुनिश्चित कर सकता है कि जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाये जाएं।’’
चार महीने में ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र के 25 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया : केंद्र
श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले चार महीने में ई-श्रम पोर्टल पर देश के असंगठित क्षेत्र के 25 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया है। यादव ने प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर चार महीने में देश के 25 करोड़ लोगों ने पंजीकरण कराया है और उसमें यह तय किया था कि देश में 160 किस्म के पेशे हैं , लेकिन आज 400 से ज्यादा पेशे उसमें पंजीकृत हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजीकरण कराने वाले लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में दो लाख रुपये का बीमा कवर भी दिया जा रहा है।
यादव ने कहा कि भारत सरकार द्वारा रोज़गार की स्थिति और रोजगार की उपलब्धता के लिए तीन मानकों के आधार पर स्थिति को दर्शाया जाता है। उन्होंने कहा कि पहला यह है कि सरकार के द्वारा एक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण किया जाता है। उन्होंने कहा कि अभी तक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण केवल मांग पक्ष को दर्शाता है।
अब भारत सरकार के माध्यम से आपूर्ति पक्ष के लिए के लिए श्रम ब्यूरो के द्वारा एक सर्वेक्षण प्रारम्भ किया गया है। यह सर्वे भी तिमाही आधार पर शुरू किया गया है और इसकी जो पहली रिपोर्ट आयी है, उसमें दर्शाया गया है कि वर्ष 2013-14 के मुकाबले भारत में संस्थागत रोज़गार में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यादव ने कहा कि पहली रिपोर्ट के बाद दूसरी रिपोर्ट सितम्बर में आयी और उसमें भी यह दर्शाया गया है कि कोविड की तीसरी लहर आने के बावजूद संस्थागत क्षेत्रों में दो लाख रोज़गारों की वृद्धि हुई है।
भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर न्यायाधीशों की संख्या करीब 21
सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर न्यायाधीशों की संख्या करीब 21 है। कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसी भी वर्ष में प्रति दस लाख की आबादी पर न्यायाधीशों की संख्या गिनने के लिए मंत्रालय का कानून विभाग 2011 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या और उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला अदालत और अधीनस्थ अदालतों में उस साल न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या के बारे में उपलब्ध जानकारी का उपयोग करता है।
उन्होंने बताया ‘‘31 दिसंबर 2021 की स्थिति के अनुसार, न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 21.03 को देखते हुए उनका एवं आबादी का अनुपात प्रति दस लाख में करीब 21 न्यायाधीश है।’’ उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 और 25 उच्च न्यायालयों में 1098 है।
लंबित मामलों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि फास्ट ट्रैक अदालतों सहित अधीनस्थ अदालतों की स्थापना और उसका कामकाज, संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकारों के दायरे में आता है। रिजीजू ने बताया ‘‘उच्च न्यायालयों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2021 तक 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 898 फास्ट ट्रैक अदालतें काम कर रही हैं।’’